
चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुआत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने काफी आक्रामक शुरुआत की थी, लेकिन इसका परिणाम सत्ता पक्ष के खिलाफ उतना प्रभावशाली नहीं रहा।
पहले दिन आया स्थगन प्रस्ताव
सत्र के पहले दिन कांग्रेस के युवा विधायक बलराम डांगी, जस्सी पेटवाड़, इंदु राज नरवाल और विकास सहारण ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों पर जोरदार हमला किया। विधानसभा अध्यक्ष ने प्रस्ताव स्वीकार किया, लेकिन न तो काम रुका और न ही सरकार पर कोई दबाव बन सका।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष को मात दी
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अपने परिचित अंदाज में विपक्ष की चाल को कुंद करते हुए, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर आंकड़े पेश कर विपक्ष को उलझा दिया। पिछले महीनों में हुई बड़ी घटनाओं पर कांग्रेस विधायक सरकार को घेर नहीं पाए।
लोकलुभावन घोषणाएं और सियासी संदेश
मुख्यमंत्री ने 1984 के दंगों के पीड़ितों के परिवारों को नौकरी देने की घोषणा कर हरियाणा के सिख समुदाय में अपनी पकड़ मजबूत की, और इसे गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस से जोड़ा। साथ ही, अवैध उद्योगों को नियमित करने वाला बिल पास कराया और गरीबों के लिए प्लाट की स्टांप ड्यूटी समाप्त की, जिससे आम जनता को राहत मिली।
सत्ता पक्ष की रणनीति कामयाब
सैनी ने विधानसभा में घमासान के बीच पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सम्मानित कर यह संदेश दिया कि वे अपने मूल्यों और पहचान को नहीं भूलते। कुल मिलाकर, विपक्ष ने पहले दिन आक्रामक शुरुआत की, लेकिन सत्ता पक्ष ने अपने कार्यों और घोषणाओं से बाजी मार ली।