
हरिद्वार : हरिद्वार के श्यामपुर–कांगड़ी क्षेत्र में बंदरों का आतंक अब सीधे तौर पर वन विभाग और प्रशासन की घोर लापरवाही की तस्वीर बन चुका है।हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि मंदिरों में भगवानों को भी लोहे की जाल में कैद करना पड़ रहा है।श्यामपुर–कांगड़ी इलाके की लगभग सभी दुकानें और घर लोहे की जाल से पैक किए जा चुके हैं,लेकिन इसके बावजूद बंदरों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा।स्थानीय लोगों का आरोप है कि हरिद्वार के अलग–अलग इलाकों से बंदरों को रेस्क्यू के नाम पर श्यामपुर वन विभाग रेंज में छोड़ा जा रहा है,जिससे बीते एक साल में यहां बंदरों की संख्या बेकाबू हो गई है।स्थिति अब केवल घर–दुकानों तक सीमित नहीं है।
नजीबाबाद हाईवे और आसपास की सड़कों पर बंदरों के कारण दो पहिया और चार पहिया वाहन
लगातार दुर्घटनाओं का शिकार हो रहे हैं,लेकिन इसके बावजूद न वन विभाग चेत रहा है
और न ही जिला प्रशासन कोई ठोस कार्रवाई करता दिख रहा है।क्षेत्रवासियों का कहना है कि लगातार शिकायतों के बाद भी श्यामपुर रेंजर विनय राठी की मॉनिटरिंग पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है,और जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। वहीं बंदरों के लिए करोड़ों रुपये की लागत से बनाया गया बंदर बाड़ा जमीनी स्तर पर पूरी तरह फेल नजर आ रहा है, जिसका क्षेत्र में कोई असर दिखाई नहीं देता।
इस पूरे मामले को लेकर डीएफओ स्वप्निल सवियाल का बयान सामने आया है।










