
Hardoi : बिलग्राम नगर पालिका द्वारा लाखों रुपये की धनराशि से नगर में प्रवेश द्वार से लेकर पूरे कस्बे तक लगाए गए विद्युत पोल आज उपेक्षा और लापरवाही की भेंट चढ़ चुके हैं। नगर विकास और प्रकाश व्यवस्था को बेहतर बनाने के नाम पर लगाए गए ये पोल अब शोपीस बनकर रह गए हैं।
कहीं पोल तिरछे खड़े हैं, कहीं जमीन में पड़े दिखाई देते हैं, तो कहीं लाइटें ही गायब हो चुकी हैं। मोहल्ला रफैयत गंज सहित नगर के अन्य इलाकों में दर्जनों पोल ऐसे मिले जिन पर लगे बल्ब महीनों से जले ही नहीं। स्थिति इतनी बदतर है कि कई पोल सड़कों के किनारे घास-फूस में दबे पड़े मिले।
यह नजारा न सिर्फ नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गया है। रात के समय अंधेरे में राहगीर आए दिन दुर्घटना का शिकार होते हैं।
नगर पालिका प्रशासन दावा करता है कि हर महीने प्रकाश व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए हजारों रुपये का बिल भुगतान किया जाता है, जबकि जमीनी सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। लाखों की लागत से लगाए गए विद्युत पोल अगर सिर्फ सजावट बनकर रह जाएं, तो यह सीधे-सीधे सरकारी धन की बर्बादी है।
सवाल यह उठता है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी इस व्यवस्था की निगरानी क्यों नहीं करते? नगर में अंधेरा पसरा रहने और पोलों के निष्क्रिय रहने से साफ है कि पालिका का ध्यान केवल बिल चुकाने तक सीमित है; जनता की सुविधा और सुरक्षा से इसका कोई सरोकार नहीं है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। पालिका अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण नगरवासी परेशान हैं। जिन पोलों से नगर की गलियों और सड़कों को रोशन होना चाहिए था, वही पोल अब अंधेरे और खतरे का कारण बन गए हैं।
बिलग्राम नगर पालिका की लापरवाही से जनता में गुस्सा है। विकास और सुरक्षा के नाम पर किया गया यह तथाकथित निवेश भ्रष्टाचार और गैर-जिम्मेदारी की मिसाल है।
लोगों ने मीडिया के माध्यम से उच्च अधिकारियों से मामले की जांच कर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है। मामले में जब पालिका के ईओ से बात करने का प्रयास किया गया, तो उनका फोन आउट ऑफ कवरेज बताता रहा।
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