
- रावण की नौ सिर और बीस भुजाओं वाली पत्थर की प्रतिमा के आगे झुकते हैं लोग
- दशहरे पर रावण की प्रतिमा का भव्य तरीके से श्रृंगार किया जाता है
Hamirpur : पूरे देश में आज रावण का पुतला दहन किया जाता है लेकिन हमीरपुर जिले के बिहुनी गांव में आज भी लंकेश की पूजा की जाती है। सदियों पुरानी मान्यता के अनुसार दशहरे पर रावण का पुतला जलाया नहीं जाता, बल्कि उसका भव्य तरीके से श्रृंगार किया जाता हैं।
बिहुनी गांव के बीचोंबीच करीब हजार वर्ष पुरानी रावण की नौ सिर और बीस भुजाओं वाली पत्थर की प्रतिमा बनी हुई है। इस प्रतिमा को दशहरे के मौके पर रंग-रोगन कर सजाया जाता है और ग्रामीण श्रद्धा से नारियल चढ़ाकर पूजा-अर्चना करते हैं। इस गांव के एक मोहल्ले को लोग ‘रावण पटी’ भी कहते हैं। गांव के लोगों के अनुसार रावण कोई साधारण असुर नहीं बल्कि महाविद्वान और शिवभक्त थे। अंतिम समय में भगवान राम के कहने पर लक्ष्मण ने भी रावण के चरणों में बैठकर ज्ञान प्राप्त किया था। इसी वजह से ग्रामीण कहते हैं कि “जिससे भगवान ने ज्ञान लिया, उसे इंसान जलाने का अधिकार कैसे पा सकता है। यहां नवविवाहित दंपत्ति भी रावण की प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेने की परंपरा निभाते हैं।
प्रतिमा के सामने स्थित मैदान में हर साल रामलीला का आयोजन भी होता है। दिलचस्प बात यह है कि यहां रामलीला में रावण वध तो होता है, लेकिन पुतला दहन कभी नहीं किया जाता। कलाकार केवल प्रतीकात्मक रूप से वध का मंचन करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है और दशहरे पर असत्य पर सत्य की विजय का पर्व तो मनाया जाता है, लेकिन रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता।