हाल-ए-शोध केन्द्र वसूली फार्म: गेहूं में घास या घास में गेहूं देख हैरान हुए किसान

  • कृषि विज्ञान केन्द्र बसुली में आयोजित हुआ जिलास्तरीय कृषि गोष्ठी

महराजगंज। ज़िले के मुख्यालय से 53 किलोमीटर दूर कृषि विज्ञान केन्द्र वसूली फार्म स्थित है। सोमवार को इस केंद्र में जिला स्तरीय गोष्ठी का आयोजन किया गया है। इस मौके पर गोष्ठी में भीड़ जुटाने के लिए जिले के अलग-अलग गांवों के किसानों को बुलाया गया है।इस उद्देश्य से कि फार्म में हुई तकनीकी विधि से खेती का दर्शन किसानों को कराया जाएगा और किसानों को बेहतर खेती का गुर सिखाया जाएगा। लेकिन बसुली फार्म में गेहूं की खेती देखकर ऐसा लगा कि मानों इस की खेती की दरकार है।

फार्म के खेत में गेहूं की जगह सिर्फ घास दिखाई दे रहे हैं। बेतरतीब ढंग से हुई गेहूं की खेती बदरंग हो गई है। खेत की हालत इतनी खराब है। न तो गेहूं में बाली दिखाई दे रही है और न ही पौधों की बढ़वार है। हैरतअंगेज बात यह है कि इस तरह से खेती कर किसानों को कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक क्या बताना चाह रहे हैं।फार्म के खेतों में गेहूं के पौधे की जगह सिर्फ विभिन्न तरह के घास-फूस कृषि विज्ञान केन्द्र के बैज्ञानिकों को कटघरे में खड़ा करते हैं। जब खुद अपनी खेती इतना खराब किए हैं, तो किसानों को क्या बताएंगे और किसानों को बेहतर खेती का क्या आईना दिखाएंगे।

दैनिक भास्कर टीम ने ऐन मौके पर कृषि विज्ञान केन्द्र वसूली फार्म पहुंची। टीम ने कृषि विज्ञान केन्द्र फार्म की हर खेत की पड़ताल की। हैरान कर देने वाली बात सामने आई। गेहूं के खेत को देख कर आंखे चौंधिया गई। इस बात को लेकर गोष्ठी में चर्चाएं तेज हो गई। जबकि सरकार इस फार्म में पानी की तरह पैसा बहा रही है। लेकिन यहां बसुली फार्म में तैनात कृषि वैज्ञानिक सिर्फ सरकार के महत्वाकांक्षी योजना पर पानी फेर रहें हैं।

भास्कर ब्यूरो टीम आगे की ओर बढ़ी। फार्म के अंतिम छोर पर शोध केंद्र स्थित है। यहां तो स्थिति और ही खराब है। इसी कम्पाउन्ड में स्थित शोध केंद्र में सड़ रहे कृषि यंत्रों को देखकर ऐसा लगता है कि यह फार्म अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।कही सुपर सीडर व अन्य यंत्र सड़ रहा है। जिसमें टूटें फूटे मकान, बेतरतीब कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले सामान देखा जा सकता है।

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