
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने देश के वस्तु एवं सेवा कर GST ढांचे में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव करने का खाका तैयार कर लिया है। प्रस्तावित जीएसटी 2.0 में मौजूदा चार प्रमुख टैक्स दरों 5%, 12%, 18% और 28% को घटाकर केवल दो दरों में समेटने की योजना है 5% और 18%। इसके अतिरिक्त, लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं जैसे शराब, तंबाकू, जुआ, ड्रग्स आदि पर विशेष 40% टैक्स लगाया जाएगा। यह बदलाव इस साल दिवाली से पहले लागू करने की तैयारी है।
क्या बदलेगा नए जीएसटी ढांचे में?
सरकारी सूत्रों के मुताबिक
12% वाले स्लैब की 99% वस्तुएं अब 5% टैक्स श्रेणी में चली जाएंगी।
28% वाले स्लैब की करीब 90% वस्तुएं अब 18% स्लैब में आ जाएंगी।
तंबाकू उत्पादों पर 40% जीएसटी तो लगेगा, लेकिन कुल टैक्स बोझ 88% पर ही रहेगा।
पेट्रोलियम उत्पादों को अभी भी जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जाएगा।
हीरे और कीमती पत्थरों जैसे निर्यात-उन्मुख व श्रम-प्रधान सेक्टर पर टैक्स पहले जैसा ही रहेगा।
मौजूदा जीएसटी दरें
अभी 0% जरूरी खाद्य वस्तुएं, 5% रोजमर्रा का सामान, 12% सामान्य सामान, 18% इलेक्ट्रॉनिक्स व सेवाएं और 28% लग्जरी,हानिकारक वस्तुएं टैक्स लगता है।
वर्तमान में
18% स्लैब से 65% जीएसटी राजस्व आता है।
28% स्लैब से 11% योगदान।
12% स्लैब से 5% योगदान।
5% स्लैब से 7% योगदान।
नई व्यवस्था में 12% और 28% स्लैब खत्म हो जाएंगे, जिससे टैक्स स्ट्रक्चर काफी सरल हो जाएगा।
बदलाव के फायदे
सरकार का अनुमान है कि
टैक्स दरें घटने से उपभोक्ताओं की खपत बढ़ेगी।
कम दरों से होने वाला संभावित राजस्व घाटा बढ़ी हुई खपत से पूरा हो जाएगा।
छोटे उद्योगों और मझोले कारोबारियों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।
पीएम मोदी का लाल किले से एलान
79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से घोषणा की कि जीएसटी सुधार दिवाली से पहले लागू होंगे। पीएम ने कहा
नया जीएसटी ढांचा आम आदमी का बोझ घटाएगा, टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाएगा और छोटे उद्योगों को ताकत देगा।
तीन स्तंभों पर आधारित प्रस्ताव
वित्त मंत्रालय के अनुसार यह सुधार तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है
संरचनात्मक सुधार
टैक्स दरों का युक्तिसंगतकरण
जीवन और व्यापार में आसानी
टास्क फोर्स का गठन
पीएम ने जीएसटी कानूनों में संशोधन और अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक विशेष कार्यबल बनाने की भी घोषणा की। इस टास्क फोर्स में टैक्स विशेषज्ञ, उद्योग प्रतिनिधि और नीति निर्माता शामिल होंगे।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में महत्व
अमेरिका और अन्य देशों द्वारा भारतीय निर्यात पर लगाए गए उच्च टैरिफ और मौजूदा भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह सुधार भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।
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