
झाँसी। प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मोंठ तहसील क्षेत्र के बझेरा स्टेट गांव में रहने वाले किसान राजेंद्र सिंह के खेत में वास्तविकता में धान की फसल है, लेकिन राजस्व अभिलेखों में उसी खेत में अफीम की खेती दर्ज कर दी गई है। यह त्रुटि न केवल किसानों की मेहनत पर सवाल खड़ा करती है बल्कि राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।
किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से अपने खेत में केवल धान और गेहूं जैसी पारंपरिक फसलें ही उगाता आ रहा है। उसने कहा कि “मेरे खेत में कभी भी अफीम की खेती नहीं हुई है। मैंने न तो ऐसी कोई फसल लगाई, न ही इसके बारे में कभी सोचा। जब मैंने धान की फसल का बीमा कराने के लिए खसरा निकाला, तो उसमें अफीम की फसल दर्ज देखकर मैं दंग रह गया।”

किसान का कहना है कि यह साफ तौर पर राजस्व विभाग की भारी लापरवाही है। खेत का गाटा संख्या 69 खातेदार शियाशरण के नाम पर दर्ज है, और फसली वर्ष 1 जुलाई 2024 से 30 जून 2025 तक के खसरा में खरीफ फसल के रूप में अफीम लिख दी गई है। किसान ने कहा कि इस गलती से उसे अब यह भी समझ नहीं आ रहा कि बीमा किस फसल का मिलेगा, धान का या गलत तरीके से दर्ज अफीम का।
एसडीएम अवनीश तिवारी ने कहा कि “मामले की जानकारी मिली है। किसान की समस्या का समाधान होगा। अगर गलत फसल दर्ज है तो उसमें सुधार कराया जाएगा।”
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