
हल्द्वानी। जज फार्म क्षेत्र में कभी हरे-भरे आम के पेड़ों से सजा बगीचा अब कंक्रीट के जंगल में तब्दील होता जा रहा है। पिछले कई वर्षों से पेड़ों की कटान और अवैध निर्माण का यह सिलसिला चुपचाप जारी है। चिंताजनक बात यह है कि प्राधिकरण, उद्यान विभाग और वन विभाग—तीनों ही इसे लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहे। नतीजतन, क्षेत्र की हरियाली और प्राकृतिक पहचान तेजी से मिटती जा रही है।
ब्रिटिश काल से मिली थी पहचान
1940 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने गुजरात मूल के सेवानिवृत्त जज घनश्याम दास को आईटीआई (हल्द्वानी) के नजदीक भूमि आवंटित की थी। उन्होंने यहां कोठी का निर्माण कराया, जिसके बाद क्षेत्र का नाम “जज फार्म” पड़ा। बाद में यहां बड़े पैमाने पर आम के पेड़ लगाए गए और यह इलाका प्रसिद्ध बगीचे के रूप में जाना गया।
अब पेड़ों की जगह बहुमंजिला इमारतें
हल्द्वानी शहर के विस्तार के साथ जज फार्म में भी अवैध निर्माणों की बाढ़ आ गई है। आम के पेड़ों को काटकर आवासीय और व्यावसायिक भवन खड़े किए जा रहे हैं। वहीं, इस पर रोक लगाने वाले विभाग दावा तो करते हैं, लेकिन जमीन पर हालात इसके उलट हैं।
अधिकारियों की सफाई
विजयनाथ शुक्ल, सचिव, डीडीए
“प्राधिकरण केवल उस भूमि पर मानचित्र स्वीकृत करता है जिसका स्वामित्व प्रमाणित हो। पेड़ काटने की अनुमति संबंधित विभाग देता है। जज फार्म में नए निर्माण की कोई अनुमति जारी नहीं की गई है। यदि कोई अवैध निर्माण हो रहा है तो जांच कराई जाएगी।”
भावना जोशी, जिला उद्यान अधिकारी, नैनीताल
“फलदार पेड़ काटने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य है। एक पेड़ के बदले दो पेड़ लगाना और उसकी जांच एडीओ स्तर पर अनिवार्य है। जज फार्म में किसने अनुमति ली है, रिकॉर्ड देखने के बाद ही बताना संभव है।”
ललित मोहन जोशी, वन क्षेत्राधिकारी, हल्द्वानी रेंज
“मामला संज्ञान में नहीं था। यदि पेड़ काटे जा रहे हैं तो बुधवार को टीम भेजकर जांच कराई जाएगी। शिकायत सही मिली तो वन अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।”










