
Bihar Election : बिहार में महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना मुख्यमंत्री पद का फेस घोषित कर दिया है। इस घोषणा के साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों और जनता के बीच यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या यह फैसला महागठबंधन के पक्ष में जाएगा या फिर इससे उन्हें नुकसान हो सकता है।
बिहार में इस बार की चुनावी जंग खासा दिलचस्प हो गई है। महागठबंधन में मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस, और अन्य छोटी पार्टियां शामिल हैं। इन सभी ने एकजुट होकर तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित किया है। तेजस्वी के समर्थक इस फैसले को पार्टी की रणनीति का महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे उनकी बढ़ती लोकप्रियता का संकेत भी मान रहा है।
तेजस्वी यादव का चेहरा घोषित किए जाने का मकसद है युवा वर्ग और पिछड़ी जातियों को आकर्षित करना। माना जा रहा है कि उनका युवा चेहरा और पिछड़ा वर्ग से होने का फायदा महागठबंधन को चुनाव में मिल सकता है। वहीं, कुछ राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि यह फैसला कुछ वर्गों में नाराजगी भी पैदा कर सकता है, खासकर उन नेताओं या वोटरों में जो किसी दूसरे नेता को सीएम फेस बनाना चाहते थे।
वहीं, विपक्षी दलों ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह सिर्फ एक प्रचार का हथकंडा है और असली जीत तो जनता की है। विपक्ष का तर्क है कि महागठबंधन की यह रणनीति चुनावी लाभ की बजाय सिरदर्द बन सकती है, यदि जनता इस पर भरोसा नहीं करती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करना महागठबंधन के लिए फायदे या नुकसान दोनों ही हो सकते हैं। यदि वे जनता के बीच अपनी छवि मजबूत बनाने में सफल रहते हैं, तो यह उनके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन यदि जनता को यह फैसला रास नहीं आया और विपक्षी दल इस पर हावी हो गए, तो यह नुकसानदेह भी हो सकता है।
बिहार चुनाव का परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि महागठबंधन का यह निर्णय उनके लिए कितना कारगर रहा।