मुर्शिदाबाद हिंसा पर राज्यपाल की सख्त रिपोर्ट…अनुच्छेद 356 को बताया संवैधानिक विकल्प

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुए दंगों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें राज्य की गंभीर सुरक्षा स्थिति को लेकर अहम टिप्पणियां की हैं। रिपोर्ट में राज्य में कट्टरपंथ और उग्रवाद की दोहरी समस्या को एक बड़ी चुनौती के रूप में पेश किया गया है।

राज्यपाल ने कहा कि बांग्लादेश के साथ सीमा साझा करने वाले जिलों मुर्शिदाबाद और मालदा में इस समस्या का असर अधिक है, जहां हिंदू अल्पसंख्यक हैं और स्थानीय जनसांख्यिकी पर भी असर पड़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस समस्या से निपटने के लिए विभिन्न उपायों का सुझाव दिया गया है।

राज्यपाल की रिपोर्ट में प्रमुख सुझाव

  1. विभाजन और हिंसा की पूरी जांच के लिए आयोग का गठन
    राज्यपाल ने मुर्शिदाबाद हिंसा की गहरी जांच के लिए एक जांच आयोग के गठन की सिफारिश की है।
  2. बांग्लादेश से सटे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां
    उन्होंने बांग्लादेश सीमा से लगे जिलों में केंद्रीय बलों की चौकियां स्थापित करने की आवश्यकता जताई।
  3. संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू करने का विकल्प
    राज्यपाल ने यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव नहीं दिया गया है, बल्कि यदि स्थिति बिगड़ती है तो इस प्रावधान पर विचार किया जा सकता है।
  4. संविधान के प्रावधानों के तहत कार्यवाही
    राज्यपाल ने मौजूदा स्थिति पर नियंत्रण रखने के लिए संवैधानिक विकल्पों पर विचार करने का सुझाव दिया।

राज्य सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया

  • तृणमूल कांग्रेस ने इस रिपोर्ट को राजनीति से प्रेरित बताया है, जबकि भा.ज.पा. ने रिपोर्ट की सराहना की है और इसे राज्य की वास्तविक स्थिति का आईना बताया है।
  • राज्यपाल ने हिंसा के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंता जताई और कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय को शांत करने के लिए दिए गए आश्वासन काम नहीं आए।

वक्फ कानून के विरोध में हिंसा और उसके परिणाम

मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की थी, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। राज्यपाल ने इस हिंसा को एक उदाहरण के रूप में लिया और इसके परिणामस्वरूप, कानून के शासन को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद बार-बार आश्वासन दिया कि वह अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करेंगी, लेकिन इसके बावजूद हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही थी। राज्यपाल ने कहा कि यदि कानून का पालन सही तरीके से नहीं हुआ, तो ऐसे घटनाओं को रोक पाना मुश्किल होगा।

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