राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने समर्थ पोर्टल के 39 मॉड्यूल पर की ऑनलाइन समीक्षा

लखनऊ। प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन लखनऊ में प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा समर्थ पोर्टल के अंतर्गत उपलब्ध सभी 39 मॉड्यूल पर पूर्ण रूप से क्रियान्वयन को लेकर ऑनलाइन समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में समर्थ पोर्टल के माध्यम से रजिस्ट्रेशन, नामांकन, परीक्षा, परिणाम, काउंसलिंग, फीस भुगतान, इनविजीलेटर ड्यूटी, प्रैक्टिकल परीक्षा आयोजन, डिजिलॉकर इंटीग्रेशन आदि में आने वाली समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की गई।


राज्यपाल ने निर्देश दिए कि सभी विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल के अधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहें तथा समर्थ पोर्टल के क्रियान्वयन में आने वाली तकनीकी एवं प्रक्रियागत समस्याओं का समाधान शीघ्र सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि राजभवन स्तर पर एक विशेषज्ञ टीम गठित की जाए, जिसे समर्थ पोर्टल के अधिकारी प्रशिक्षित करें और यह टीम उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों को पोर्टल आधारित कार्य प्रणाली में दक्ष बनाएं।


राज्यपाल ने यह भी निर्देश दिया कि जिन विद्यार्थियों ने फीस जमा करने के पश्चात प्रवेश नहीं लिया है, उनकी फीस वापसी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उन्होंने चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन पर विशेष बल देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों के समस्त शैक्षणिक कार्य नामांकन से लेकर परीक्षा परिणाम तक समर्थ पोर्टल के माध्यम से ही संचालित किए जाएं।
उन्होंने प्रत्येक विवि में प्रशिक्षित आईटी विशेषज्ञों की टीम गठित करने, सत्रों की समयबद्ध शुरुआत करने तथा विद्यार्थियों को समर्थ पोर्टल उपयोग की प्रक्रिया समझाने हेतु तथा विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित अन्य गतिविधियों के छोटे वीडियो बनाकर विश्वविद्यालयों के यूट्यूब चैनल पर साझा करने के निर्देश दिए। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे एक-दूसरे के अनुभवों से सीख लें, तकनीकी विश्वविद्यालयों से सहयोग प्राप्त करें तथा विद्यार्थी स्तर पर भी इस प्रक्रिया में सहभागिता सुनिश्चित करें।
राज्यपाल ने निर्देश दिया कि यह अध्ययन किया जाए कि अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों में समर्थ पोर्टल का उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है। उनकी कार्यप्रणाली से सीख लेकर उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पोर्टल के संचालन को और अधिक प्रभावी बनाया जाए।


राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर निगरानी रखने, जर्जर भवनों पर ध्यान देने तथा केवल आवश्यकतानुसार निर्माण करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक पढ़ाई के साथ सामाजिक उत्तरदायित्व भी निभाएं, विद्यार्थियों को प्रबंधन का व्यवहारिक ज्ञान दें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करें। विद्यार्थी अपने छात्रावास को स्वयं संचालित करना सीखें। यह उनके भविष्य के जीवन प्रबंधन में सहायक होगा।


राज्यपाल ने छात्रावासों में विशेष रूप से बालिकाओं की सुरक्षा पर जोर देते हुए कहा कि यदि कोई छात्रा अनावश्यक रूप से बाहर जाती है, तो उसके अभिभावकों को तुरंत सूचित किया जाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलपति और कुलसचिव सक्रिय रहकर विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करें, उनकी काउंसलिंग करें और उन्हें अनुशासित, जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करें और विद्यार्थियों को समाज में फैल रही नकारात्मक और अशोभनीय प्रवृत्तियों से दूर रखने के प्रयास करें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों के परिसर और गोद लिए गए गांवों में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जाए। जिन विश्वविद्यालयों में स्विमिंग पूल हैं, वहां विश्वविद्यालयों द्वारा गोद लिए गए गांवों तथा आसपास के गांवों के बच्चों को तैराकी प्रशिक्षण दिया जाय। उन्होंने कहा कि शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों में अनुशासन अनिवार्य है, क्योंकि अनुशासित शिक्षक ही विद्यार्थियों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है।


राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में बैक पेपर प्रणाली को समाप्त किया जाए और विद्यार्थियों को इस प्रकार तैयार किया जाए कि वे सभी परीक्षाओं में समय से सम्मिलित होकर उत्कृष्ट प्रदर्शन करें।
विशेष कार्याधिकारी राज्यपाल डॉ. सुधीर महादेव बोबडे (अपर मुख्य सचिव स्तर), विशेष कार्याधिकारी (शिक्षा) पंकज एल. जानी, राजभवन के अधिकारी-कर्मचारी, समर्थ पोर्टल के अधिकारी, प्रदेश के विभिन्न राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, अधिकारीगण तथा अन्य महानुभाव (ऑनलाइन/ऑफलाइन) उपस्थित रहे।

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