
उत्तराखंड सरकार ने बिना पंजीकरण और मानकों के विपरीत संचालित हो रहे नशा मुक्ति केंद्रों पर सख्त रुख अपनाते हुए कार्रवाई तेज करने का निर्णय लिया है। शुक्रवार को सचिवालय में हुई राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण की बैठक में इस संबंध में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए।
अवैध नशा मुक्ति केंद्र होंगे बंद
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्पष्ट किया गया कि राज्य में बिना पंजीकरण चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों को चिह्नित कर बंद किया जाएगा, साथ ही मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के तहत जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सभी जिलों में निरीक्षण टीमें गठित
मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम-2017 के तहत, हर जिले में जिला स्तरीय निरीक्षण टीमें गठित की जाएंगी। ये टीमें सभी नशा मुक्ति केंद्रों का निरीक्षण करेंगी और गहन जांच कर यह सुनिश्चित करेंगी कि केंद्र पंजीकृत हैं और निर्धारित मानकों के अनुरूप संचालित हो रहे हैं।
135 केंद्रों ने कराया पंजीकरण
अब तक प्रदेश में 135 नशा मुक्ति केंद्रों ने पंजीकरण कराया है। इन्हें एक साल बाद स्थायी पंजीकरण प्रदान किया जाएगा। हालांकि विभाग को आशंका है कि कई केंद्र बिना पंजीकरण के संचालन कर रहे हैं, जिनकी पहचान कर कार्रवाई की जाएगी।
नशा मुक्ति को लेकर सरकार प्रतिबद्ध
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य को नशा मुक्त बनाने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रहा है। उन्होंने अन्य विभागों से भी इस अभियान में सक्रिय भागीदारी की अपील की।
“जनजागरूकता ही नशा मुक्ति की सबसे सशक्त दवा है। इसके लिए गांव से लेकर शहर तक व्यापक अभियान चलाया जाएगा।”
— डॉ. आर. राजेश कुमार, स्वास्थ्य सचिव
बैठक में मौजूद प्रमुख अधिकारी
बैठक में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. सुनीता टम्टा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शिखा जंगपांगी, संयुक्त निदेशक डॉ. सुमित बरमन, सहायक निदेशक डॉ. पंकज सिंह समेत राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और समिति के सदस्य उपस्थित रहे।