
लखनऊ: निजीकरण के पहले सरकार यह बताए कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार निजीकरण के बाद निजी घरानों को कितने वर्ष तक और कितनी आर्थिक मदद सरकार करेगी। जिन शर्तों पर निजीकरण किया जा रहा है वही शर्तें सरकारी विद्युत वितरण निगमों पर लागू कर दी जाए तो सरकारी विद्युत वितरण निगमों का कायाकल्प हो जाएगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम एवं दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की सारी प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।
संघर्ष समिति ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि तमाम घोटालों से भरे निजीकरण की सारी प्रक्रिया बहुत ही संदेहास्पद है। अतः वे प्रभावी हस्तक्षेप कर निजीकरण को निरस्त करने की कृपा करें।
भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा सितंबर 2020 में जारी ड्राफ्ट स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट की धारा 2.2 बी में लिखा है कि जिस विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है अगर वहां औसत बिजली विक्रय मूल्य और औसत राजस्व वसूली में अधिक अन्तर है तो निजीकरण के बाद सरकार निजी विद्युत कम्पनी को सब्सिडाइज्ड बल्क पॉवर परचेज कॉस्ट के आधार पर बिजली आपूर्ति तब तक करेगी जब तक निजी कम्पनी मुनाफे में नहीं आ जाती। बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 258 दिन पूरे हो जाने पर भी परियोजनाओं पर बिजली कर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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