
Gonda : “रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून” यह पंक्ति मेडिकल कॉलेज पर चरितार्थ हो रही है, जहां पीने के पानी की समस्या बनी हुई है और कई बड़ी मशीनें खराब पड़ी हैं। इस खराब छवि को सुधारने के लिए प्रशासन ने मेडिकल कॉलेज का समय बढ़ा दिया है। अब मरीजों को जांच कराने में राहत मिलेगी।
गोंडा मेडिकल कॉलेज में सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ, चिल्ड्रेन वार्ड, नेत्र विभाग, हृदय विभाग और गैस्ट्रो विभाग में डॉक्टरों की कमी बनी हुई है। यहां पूरे जिले के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण होता है क्योंकि सीएचसी में सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। सुबह मरीज मेडिकल कॉलेज देर से पहुंचते हैं, पर्ची बनवाने में 11 बज जाते हैं, और जांच शुरू होते-होते दोपहर हो जाती है। अस्पताल दो बजे बंद होने से मरीजों को परेशानी होती है एक दिन जांच में और दूसरा दिन दवा लेने में निकल जाता है।
इस समस्या को देखते हुए डीएम प्रियंका निरंजन और प्राचार्य डॉ. धनंजय कोठासने ने मेडिकल कॉलेज का समय बढ़ा दिया। यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिससे लाखों मरीजों को लाभ मिलेगा। पहले दिन समय बढ़ाने पर कुछ डॉक्टरों ने असहमति जताई, लेकिन अब सुधार की उम्मीद है। नई व्यवस्था को लेकर सभी में उत्साह देखा जा रहा है।
उधर, मेडिकल कॉलेज के सिटी स्कैन में 80 लाख रुपये खर्च हुए, लेकिन उसका यूपीएस खराब हो गया है। रेडियोलॉजिस्ट न होने से अल्ट्रासाउंड भी बंद है। हड्डी वार्ड में ऑपरेशन मशीन खराब होने से रोजाना हड्डी के दर्जनों मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।










