
गाजियाबाद : मधुबन बापूधाम थाने में तैनात एक कॉन्स्टेबल को धार्मिक स्टेटस लगाना महंगा पड़ गया। कॉन्स्टेबल ने इस्कॉन मंदिर के सामने खड़े होकर अपनी सेल्फी खींची और उस पर धार्मिक स्टेटस लगाया। इसकी वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो गई। वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए पुलिस अधिकारियों ने कार्रवाई की और कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया।
इस कार्रवाई के बाद पुलिस विभाग ने स्पष्ट संदेश दिया कि वर्दीधारी जवान समाज में कानून और व्यवस्था का प्रतीक होता है। किसी भी धर्म विशेष से जुड़े संदेश या प्रतीक सार्वजनिक रूप से साझा करना पुलिसकर्मी के लिए उचित नहीं है। ऐसे कदम से सामाजिक सौहार्द बिगड़ने और गलत संदेश जाने की आशंका रहती है। यह हमें याद दिलाता है कि धर्म और आस्था निजी मामला है, लेकिन जब बात वर्दी की हो तो पुलिसकर्मी केवल संविधान और क़ानून के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है। धार्मिक प्रदर्शन उनकी निष्पक्ष छवि को धूमिल करता है।
हालांकि कॉन्स्टेबल सोहेल खान का इरादा व्यक्तिगत रहा होगा, लेकिन सार्वजनिक मंच पर इस तरह का स्टेटस लगाना उनके लिए शोभा नहीं देता। कमिश्नरेट पुलिस की यह कार्रवाई साफ़ संदेश देती है कि वर्दी धर्म से ऊपर है और पुलिस की पहचान केवल न्याय और क़ानून के रखवाले के रूप में रहनी चाहिए।
एसीपी भास्कर वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि मधुबन बापूधाम थाने में तैनात 2022 बैच के कॉन्स्टेबल सोहेल खान ने कविनगर के इस्कॉन मंदिर के बाहर खड़े होकर एक सेल्फी ली और उस पर धार्मिक सॉन्ग लगाते हुए स्टेटस लगाया था। यह पुलिस विभाग के लिए सही संदेश नहीं था। वीडियो वायरल होने के बाद उच्च अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए उन्हें नोटिस दिया और लाइन हाजिर कर दिया।
पुलिस विभाग ने कर्मचारियों को हिदायत दी है कि वर्दी संविधान का प्रतीक है और सार्वजनिक तौर पर धार्मिक मामलों से अलग रहनी चाहिए। वर्दी किसी जाति या धर्म से ताल्लुक नहीं रखती। पुलिस कर्मचारी सर्व समाज का होता है और अपनी आस्था को वर्दी के बीच नहीं लाना चाहिए। फिलहाल धार्मिक स्टेटस लगाने पर कॉन्स्टेबल को लाइन हाजिर किया गया है।
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