गाजियाबाद : ट्रांस हिंडन जोन में पुलिस कर्मचारियों को दी गई जीवन रक्षक की टिप्स

गाजियाबाद। पुलिस कमिश्नर जे रविंदर गौड एक बार फिर पुलिस कर्मचारियों के लिए संकट मोचन की भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस बार पुलिस कमिश्नर द्वारा अपने पुलिस जवानों को इमरजेंसी के समय एक दूसरे की शारीरिक रूप से कैसे मदद की जा सकती है। इसको लेकर प्रशिक्षित ट्रेनर से उन्हें टिप्स दिलाए गए। जिससे कि इमरजेंसी के हालात में अपने जवानों को किस तरह मदद कर उनके स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है।

जीवन रक्षक एवं शारीरिक संतुलन व्यायाम कार्यक्रम के अंतर्गत ट्रांस हिंडन जोन के पुलिस कर्मियों को शारीरिक देखभाल व प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया गया।

इस मामले में पुलिस कमिश्नर जे रविंदर गौड़ ने दैनिक भास्कर संवाददाता एमजे चौधरी से जानकारी साझा करते हुए बताया कि सड़क, आग व करंट जैसी दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु दर में कमी लाने तथा दुर्घटना में घायल को शीघ्र व प्रभावी राहत उपलब्ध कराने के उद्देश्य से और साथ ही पुलिस कर्मियों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता करने के उद्देश्य से थाना खोड़ा स्थित सेमिनार हॉल में एनआईएसी प्राइवेट लिमिटेड की विशेषज्ञ टीम द्वारा जीवन रक्षक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

बेसिक लाइफ स्पोर्ट के जरिये की जा सकती है मदद

बेसिक लाइफ सपोर्ट एक ऐसी तकनीक है जो जीवन को बचाने में मदद करती है। जब किसी व्यक्ति को दिल का दौरा, श्वसन विफलता या अन्य आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ता है तब बेसिक लाइफ स्पोर्ट के जरिये जान बचाई जा सकती है। कार्डियक अरेस्ट की पहचानः दिल का दौरा पड़ने पर व्यक्ति की पहचान करना और तुरंत कार्यवाही करना। सीपीआर व्यक्ति को सीपीआर देना, जिसमें छाती को दबाना और सांस देना शामिल है। जीवन बचाने में मदद करता है। दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत कार्यवाही करने में मदद करता है। श्वसन विफलता के मामलों में मदद करता है।

एसीपी इंदिरापुरम ने किया कार्यक्रम का उद्घाटन

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ एसीपी इन्दिरापुरम द्वारा किया गया। जिसमें समस्त थाना प्रभारी, थानाध्यक्ष व चौकी प्रभारी ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। प्रशिक्षण के दौरान एनआईएसी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ नीरज मिश्रा एवं उनकी विशेषज्ञ टीम ने बताया की सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है। जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है।

सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं। जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलता है और सांस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है। इससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है, हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट डूबने दम घुटने और करंट लगने जैसी स्थितियों में सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।

अगर व्यक्ति को सांस या धड़कन रुक गई है तो जल्द से जल्द उसे सीपीआर दें, क्योंकि पर्याप्त ऑक्सीजन के बिना शरीर की कोशिकाएं बहुत जल्द खत्म होने लगते हैं। मस्तिष्क की कोशिकाएं कुछ ही मिनट में खत्म होने लगते हैं। इसे गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है। अध्ययनों में पता चलता है कि अगर अधिक लोगों को सीपीआर देना आ जाए तो कई जान बचाई जा सकती हैं।

डॉक्टर ने गोल्डन आवर की महत्वत्ता से किया जागरूक

डॉ वरुण खन्ना द्वारा प्रशिक्षण के समय गोल्डन आवर प्रथम घंटे के महत्व को विस्तार से समझाया और साथ ही सीपीआर की सही विधि का व्यावहारिक अभ्यास भी कराया।

बता दें कि भारत में होने वाली दुर्घटनाओं जैसे की सड़क और आग, करेंट जैसी दुर्घटनाओं में अधिकांश मृत्यु समय पर प्राथमिक उपचार न मिलने के कारण होती है। यहां यह भी स्पष्ट है कि पुलिस की किसी भी घटना घटित होने की दशा में सबसे पहले पहुंचती है। ऐसे में आवश्यक है कि सभी पुलिसकर्मी सीपीआर के संबंध में जागरूक एवं प्रशिक्षित हो, पुलिस कर्मियों को सीपीआर एवं प्राथमिक उपचार की विधियों का प्रशिक्षण दिए जाने से दुर्घटना पीड़ितों की जीवन रक्षा की संभावनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं।

एर्गोनोमिक प्रशिक्षण में स्ट्रेचिंग और स्ट्रेचिंग अभ्यास की भी दी जानकारी

पुलिसकर्मियों लगातार कार्य करते रहने की स्थिति में शारीरिक देखभाल कैसे करें। पुलिस कर्मियों के लिए कार्यशाला में अपने कार्य के साथ-साथ शरीर की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है। डॉ. मोहित कुमार ने बताया कि समय-समय पर मांसपेशियों की स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना और हल्का व्यायाम करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। सुबह के समय सैर करना भी तनाव को कम करने में मदद कर सकता है।

डॉ. नमित वैष्णव और डॉ. गुरचरण ने कमर दर्द, गर्दन दर्द और घुटने के दर्द में कौन-कौन से व्यायाम कर सकते हैं, इस विषय पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि नियमित व्यायाम और स्ट्रेचिंग से इन समस्याओं को कम किया जा सकता है। एर्गोनोमिक प्रशिक्षण में स्ट्रेचिंग और स्ट्रेचिंग अभ्यास शामिल होते हैं, जो मांसपेशियों को मजबूत बनाने, रक्त संचार को बेहतर बनाने और चोटों को रोकने में मदद करते हैं।

इसमें डेस्क पर किए जाने वाले स्ट्रेचिंग अभ्यास शामिल हैं। जैसे कि कंधों और गर्दन को हल्का खींचना और सही मुद्रा बनाए रखना, जैसे कि कुर्सी पर सीधा बैठना और मेज को सही ऊंचाई पर रखना। इसके अलावा, उठने-बैठने या बार-बार उठने और झुकने जैसे काम करते समय सही तकनीक का इस्तेमाल करना एर्गोनोमिक्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

एर्गोनोमिक प्रशिक्षण व्यायाम खिंचाव

कंधों के लिए क्या करें

कंधे की अकड़न और दर्द को कम करने के लिए एक भुजा को धीरे-धीरे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाएं, जैसे आप किसी बच्चे को झुला रहे हों। यह अभ्यास 20 बार दोहराएं। सिर के लिए:- अपने हाथ से सिर को धीरे-धीरे कंधे की ओर खींचें, गहरी सांस लेते हुए और झटका देने से बचें। यह गर्दन के दर्द और तनाव को कम करने में मदद करता है।

नियमित स्ट्रेचिंगः- रोजाना स्ट्रेचिंग करने से मांसपेशियों की थकान कम होती है, चोट लगने का खतरा कम होता है, और जोड़ों की गतिशीलता बढ़ती है। सही बैठने की मुद्रा। अपनी पीठ के निचले हिस्से और ग्लूट्स को कुर्सी के पिछले हिस्से से सटाकर रखें। कुर्सी को टेबल के पास रखें ताकि आपको आगे झुकने की जरूरत न पड़े।आपकी जांघ और पैर मेज के सापेक्ष लगभग 90 डिग्री के कोण पर होने चाहिए।

लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठकर काम करने से बचें

हर घंटे कम से कम कुछ मिनट का ब्रेक लें, जिससे आप स्ट्रेच कर सकें और अपनी मांसपेशियों को आराम दे सकें। वस्तुओं को सही तरीके से उठाना वस्तुओं को उठाते समय अपनी पीठ को सीधा रखें और घुटनों को मोड़ें। वस्तुओं को शरीर के पास रखें और उठाने के लिए उपकरणों का उपयोग करें, खासकर भारी वस्तुओं को उठाने से बचें।

इस अवसर पर एसीपी इन्दिरापुरम एवं थाना प्रभारी,थानाध्यक्ष एवं चौकी प्रभारी एवं एनआईएसी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ नीरज मिश्रा, डॉ वरुण खन्ना, द इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट शाखा के प्रेसिडेंट डॉ गुरुचरण, सचिव डॉ नमित वाष्र्णेय वरिष्ठ फिजियोथेरेपिस्ट डॉ मोहित कुमार एवं हरिओम गुप्ता, मोहन दास, संजीव वर्मा, विकल कुलश्रेष्ठ एवं प्रशिक्षक टीम सहित पुलिस के अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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