
- पुलिस लाइन के दो कॉन्स्टेबल जेल पहुंचे थे बंदी को लेने
- छह बंदियों को लेने की पेशी थी, कॉन्स्टेबल केवल एक बंदी को नोएडा ले जाने पर अड़ गए
- जेल अधीक्षक की जांच-पड़ताल में हुआ खुलासा
- जेल अधीक्षक ने उच्च अधिकारियों को कराया अवगत
Ghaziabad : डासना की जिला जेल के जेल अधीक्षक की सूझबूझ से एक बड़ा हादसा टल गया। हालांकि सूझबूझ के कारण जेल अधीक्षक द्वारा मामले की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी गई, जिसके बाद बड़ा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया। इसके चलते पुलिस लाइन के दो कॉन्स्टेबल गिरफ्तार किए गए। ये कॉन्स्टेबल बिना आदेश के प्राइवेट कार से कैदी को लेने डासना की जिला जेल पहुंचे थे।
पुलिस लाइन के दो कॉन्स्टेबल की करतूत आई सामने
डासना जेल के बंदी को शनिवार को फर्जी तरीके से नोएडा पेशी पर ले जाकर भगाने का प्रयास किया गया। बताया जा रहा है कि पुलिस लाइन के दो कॉन्स्टेबल शनिवार को डासना जेल पहुंचे और जेल प्रशासन को छह बंदियों का नोएडा में पेशी का आदेश दिखाया। इसके बावजूद केवल एक बंदी को ले जाने की जिद पर अड़ गए। शक होने पर जब जांच की गई, तो पता चला कि दोनों कॉन्स्टेबल एक प्राइवेट कार से पहुंचे थे। जेल प्रशासन ने कहा कि छह बंदियों की तलवी में सभी बंदियों के नाम दर्ज हैं, इसलिए सभी को एक साथ भेजा जाएगा।
इस दौरान वरिष्ठ जेल अधीक्षक को शक हुआ और उन्होंने पुलिस अफसरों को सूचना दी।
जेल नियम के अनुसार सभी बंदियों की तलवी एक साथ भेजी जाती है
जेल प्रशासन के अनुसार छह बंदियों को एक साथ भेजा जाना होता है, वह भी सरकारी गाड़ी और गार्ड के साथ। दोनों कॉन्स्टेबल ने जो तलवी जेल प्रशासन को दी उसमें छह बंदियों के नाम दर्ज हैं। लेकिन दोनों कॉन्स्टेबल केवल एक ही बंदी को लेकर जाने की बात पर अड़ गए।
इस बीच जेल प्रशासन को शक हुआ। गाजियाबाद में एसीपी लाइन और डीसीपी को कॉल करके जानकारी दी गई। सूचना के बाद अधिकारियों ने जांच कराई तो पता चला कि गाजियाबाद पुलिस लाइन से आज कोई भी सरकारी वाहन बंदियों को लेकर नोएडा की कोर्ट नहीं जा रहा था। न ही गाजियाबाद कोर्ट में जेल से मुल्जिम ले जाने के लिए कोई ड्यूटी लगाई गई थी।
दोनों कॉन्स्टेबल जब यह जानकारी पाई कि जेल प्रशासन ने एक बंदी को पेशी पर भेजने से मना कर दिया, तो बिना बंदी के पुलिस लाइन लौट आए। जांच में सामने आया कि दोनों कॉन्स्टेबल अपनी प्राइवेट कार से जेल पहुंचे थे। कॉन्स्टेबल राहुल कुमार और सचिन कुमार फर्जी तरीके से जेल पहुंचे और बंदी वंश पुत्र धर्मेंद्र को भगाने का प्रयास कर रहे थे। दोनों के खिलाफ कविनगर थाने में आरआई की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया।
दोनों कॉन्स्टेबल को पुलिस लाइन से हिरासत में लिया
इस बड़ी घटना के बाद सहायक पुलिस आयुक्त लाइन लिपि नगायच और पुलिस उपायुक्त नगर धवल जायसवाल पुलिस लाइन पहुंचे और दोनों कॉन्स्टेबल की जांच-पड़ताल कराते हुए गणना कार्यालय में भी जांच की। दोनों को हिरासत में ले लिया गया और गहनता से पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधिकारियों ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें सस्पेंड कर दिया।
आखिर इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने का मकसद क्या था
इस घटना के बाद पुलिस लाइन के गणना कार्यालय की भी जांच पड़ताल की जा रही है। माना जा रहा है कि कई अन्य पुलिसकर्मियों की भी जांच शुरू कर दी गई है। यदि गणना कार्यालय की भूमिका संदिग्ध पाई जाती है, तो दोषियों पर कार्रवाई संभव है।
दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया
पुलिस उपायुक्त नगर धवल जायसवाल के अनुसार पुलिस लाइन के दोनों कॉन्स्टेबल के खिलाफ कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। जांच में पाया गया कि दोनों कॉन्स्टेबल डासना जेल में फर्जी तरीके से बंदी को लेने पहुंचे थे। पूरे प्रकरण में जांच जारी है।
जेल अधीक्षक की सूझबूझ से टली बड़ी घटना
जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि पुलिस लाइन से दो कॉन्स्टेबल राहुल कुमार और सचिन कुमार द्वारा छह बंदियों की तलवी नोएडा के लिए लाई गई थी, जिन्हें शनिवार को नोएडा न्यायालय में पेश होना था। दोनों कॉन्स्टेबल केवल एक बंदी को ले जाने पर अड़ गए। बंदी वंश पुत्र धर्मेंद्र, निवासी गंगापुर, थाना बिसरख, जिला गौतम बुद्ध नगर को ले जाने की जिद कर रहे थे।
बंदी वंश पुत्र धर्मेंद्र 14 सितंबर 2025 को जेल लाया गया था। उस पर बादलपुर में एक मुकदमा, बिसरख थाना में एक मुकदमा, दो मुकदमे विजयनगर और एक कविनगर थाने में दर्ज हैं। दोनों कॉन्स्टेबल का व्यवहार पूरी तरह गलत था। इस कारण मामले की सूचना उच्च अधिकारियों को दी गई थी। उच्च अधिकारियों द्वारा जांच में पाया गया कि पुलिस लाइन से कोई सरकारी गाड़ी माननीय न्यायालय में बंदियों को पेशी पर ले जाने के लिए नहीं भेजी गई थी। अब दोनों कॉन्स्टेबल का मकसद क्या था और क्यों बंदी को लेकर जाना चाहते थे, यह जांच का विषय है।
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