गाड़ी का फिटनेस टेस्ट कराना हो गया और भी महंगा, जानिए 10 से 15 साल पुरानी कार के लिए देने होंगे कितने रुपये?

देश में वाहन फिटनेस टेस्ट कराना अब अधिक महंगा हो गया है, क्योंकि भारत सरकार ने पुराने वाहनों से बढ़ते प्रदूषण और सुरक्षा जोखिम को ध्यान में रखते हुए फिटनेस टेस्ट फीस में बढ़ोतरी कर दी है। सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल्स में किए गए पाँचवें संशोधन के बाद नया फी-स्ट्रक्चर लागू हुआ है, जिसके तहत अब 10 साल से अधिक पुराने वाहनों के फिटनेस टेस्ट की फीस पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा कर दी गई है। पहले सबसे अधिक शुल्क 15 साल पुराने वाहनों पर लागू होता था, लेकिन अब 10-15 साल, 15-20 साल और 20 साल से ज्यादा पुराने वाहनों के लिए अलग-अलग श्रेणियों में शुल्क निर्धारित किए गए हैं।

सरकार का कहना है कि यह बदलाव खासकर पुराने और ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले कॉमर्शियल वाहनों को सड़कों से हटाने तथा लोगों को सुरक्षित और बेहतर वाहनों के उपयोग के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया है। नए नियमों के मुताबिक, 15 साल से कम पुराने वाहनों के फिटनेस टेस्ट के लिए टू-व्हीलर्स से 400 रुपये, लाइट मोटर वाहनों से 600 रुपये और मीडियम व हैवी कॉमर्शियल वाहनों से 1,000 रुपये लिए जाएंगे।

वहीं 15 साल से अधिक पुरानी गाड़ियों के लिए टू-व्हीलर्स पर 600 रुपये, थ्री-व्हीलर्स पर 400 से 600 रुपये, कारों पर 600 से 1,000 रुपये, मीडियम गुड्स या पैसेंजर वाहनों पर 1,800 रुपये और भारी वाहनों जैसे ट्रक व बस पर 2,500 रुपये का शुल्क देना होगा। सरकार के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ वाहनों में इंजन से जुड़ी समस्याएँ बढ़ती हैं, वे सुरक्षा के लिए खतरा बनते हैं और उनसे निकलने वाला धुआँ पर्यावरण के लिए अधिक हानिकारक हो जाता है, इसलिए यह बदलाव आवश्यक था।

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