
नई दिल्ली। अगर सब कुछ ठीक रहा तो मध्यपूर्व में शांति प्रयास की मुहिम काम आ सकती है। भारत के समर्थन करने के बाद यह उम्मीद और बढ़ गई है। दरअसल इजरायल-हमास पीस प्लान पर अरब देशों के बाद पीएम मोदी ने मुहर लगा दी है, जिससे शांति के प्रयासों को बड़ा समर्थन मिला है। इंडिया में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने गाजा में संघर्ष को समाप्त करने के मकसद से अमेरिका के नेतृत्व वाली शांति योजना का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। साथ ही दुनिया के बाकी देशों से इस पहल का समर्थन करने का आग्रह किया। यह घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा व्हाइट हाउस में इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की में मौजूदगी में अपनी 20 सूत्रीय शांति योजना का ऐलान करने के एक दिन बाद हुई।
नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजार ने इस घटनाक्रम को ऐतिहासिक करार दिया। अजार ने कहा-कल व्हाइट हाउस में हमने जो देखा वह गाजा में युद्ध को समाप्त करने की एक व्यापक योजना का प्रस्तुतीकरण था। साथ ही भविष्य के लिए एक नजरिया भी था। इससे पहले मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के प्रस्ताव का स्वागत करते हुए इसे क्षेत्र में स्थिरता की दिशा में एक कदम बताया। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने लिखा-हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा गाजा संघर्ष को समाप्त करने के लिए एक व्यापक योजना की घोषणा का स्वागत करते हैं। यह फिलिस्तीनी और इजरायली लोगों के साथ-साथ व्यापक पश्चिम एशियाई क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक और स्थायी शांति, सुरक्षा और विकास का एक व्यावहारिक रास्ता देता है।
अजार ने कहा कि इस योजना को व्यापक अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त है। उन्होंने कहा-इस योजना को अरब देशों का समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने इस योजना के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की प्रशंसा की है। इसे मुस्लिम देशों का समर्थन प्राप्त है। इसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त है। इसे प्रधानमंत्री मोदी का भी समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने अभी-अभी अपने समर्थन के बारे में ट्वीट किया है। हम इस योजना के समर्थन के लिए प्रधानमंत्री मोदी के बहुत आभारी हैं। हमें उम्मीद है कि अधिक से अधिक देश हमारे साथ जुड़ेंगे। हम हमास द्वारा बंधकों की रिहाई के लिए एक समय-सीमा की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यह समय-सीमा 72 घंटे निर्धारित की गई है।
क्या है ट्रंप का शांति प्रस्ताव : प्रस्तावित ढांचे के तहत फिलिस्तीनी स्वशासन के लिए पूर्व शर्तों को रेखांकित करते हुए अजार ने कानून के शासन को महत्वपूर्ण तत्व बताया। उन्होंने कहा कि इन आवश्यकताओं में एक संविधान या समकक्ष ढांचा, स्वतंत्र प्रेस, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की सुरक्षा और उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने वाली एक स्वतंत्र न्यायपालिका शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थान पारदर्शी, स्वतंत्र और विश्वसनीय होने चाहिए, जिनमें भ्रष्टाचार-रोधी तंत्र, निवेश और अनुबंधों के लिए कानूनी सुरक्षा उपाय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की सदस्यता मानदंडों को पूरा करने की क्षमता होनी चाहिए।
अजार ने शिक्षा सुधारों के महत्व पर जोर दिया और पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों से उकसावे वाली बातों को हटाने और हिंसा या आपराधिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन को समाप्त करने का आग्रह किया। अजार ने कहा कि सभी क्षेत्रों पर नागरिक और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का नियंत्रण, पूर्ण विसैन्यीकरण और शांति दृष्टिकोण का अनुपालन भी आवश्यक शर्तें हैं। इजरायली दूत ने बताया कि बंधकों की रिहाई के बाद इजरायल तब तक पीली रेखा पर वापस चला जाएगा जब तक कि वह निर्दिष्ट सुरक्षा परिधि को सुरक्षित नहीं कर लेता। उन्होंने क्षेत्रीय हितधारकों की रचनात्मक भूमिका पर कहा-हमास पर मिस्र और कतर की स्थिति मजबूत है और अरबों में व्यापक सहमति है। संभावना है कि हमास अब इसे स्वीकार कर ले।