
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रखी है, जिसके तहत बड़े अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। हाल ही में डीजीपी राजीव कृष्ण ने रिश्वत लेने के मामले में 11 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया था।
इसके बावजूद, पुलिस विभाग के कर्मी रिश्वत लेने से बाज नहीं आ रहे हैं। इसी क्रम में लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट में तैनात एक दारोगा को एंटी करप्शन की टीम ने 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार दारोगा का नाम धनंजय सिंह है, जो निशातगंज चौकी प्रभारी के पद पर तैनात था। आरोप है कि दारोगा ने गैंगरेप के एक मामले में आरोपी कोचिंग संचालक का नाम हटाने के बदले रिश्वत मांगी थी। इस मामले में कोचिंग संचालक ने एंटी करप्शन टीम से शिकायत की, जिसके बाद टीम ने योजना बनाकर रिश्वतखोर दारोगा को गिरफ्तार कर लिया।
बताया जा रहा है कि आरोपी दारोगा ने पहले 5 लाख रुपये की मांग की थी, लेकिन बाद में सौदेबाजी कर 2 लाख रुपये पर सहमति बनी। जैसे ही कोचिंग संचालक ने रुपये दिए, तभी एंटी करप्शन टीम मौके पर पहुंची और दारोगा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के दौरान धनंजय सिंह ने विरोध करने का प्रयास किया, लेकिन टीम ने उसे काबू में कर पूछताछ के लिए अपने साथ ले गई।
मामला महानगर थाना क्षेत्र के निशातगंज का है। यहाँ एक युवती ने कुछ लोगों पर गैंगरेप का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें कोचिंग संचालक प्रतीक गुप्ता का नाम भी शामिल था। प्रतीक गुप्ता का कहना है कि वह निर्दोष है और झूठे मुकदमे में फंसाया गया है।
लड़की ने 50 लाख रुपये की मांग की थी
कोचिंग संचालक के अनुसार, उसकी एक कर्मचारी ने नौकरी छोड़ने के बाद उस पर झूठा आरोप लगाते हुए 50 लाख रुपये की मांग की थी। जब उसने 10 लाख रुपये देने की पेशकश की, तो लड़की ने कहा कि 50 लाख पूरे होने पर वह बयान बदल देगी। इसी बीच, दारोगा धनंजय सिंह ने केस से नाम हटाने के लिए रिश्वत की मांग की, जिसके बाद कोचिंग संचालक ने शिकायत दर्ज कराई।
लखनऊ में इस कार्रवाई से पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। एंटी करप्शन टीम ने गिरफ्तार दारोगा से पूछताछ शुरू कर दी है, और विभाग के उच्च अधिकारी पूरे प्रकरण की निगरानी कर रहे हैं।
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