
G RAM G Bill : लोकसभा ने आज विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जीरामजी विधेयक 2025 को लंबी बहस के बाद मंजूरी दे दी। यह विधेयक मनरेगा के स्थान पर लाया गया है, जिसमें 125 दिनों तक रोजगार की कानूनी गारंटी दी गई है और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों का समग्र विकास करना है। इस विधेयक के पास होने के साथ ही विपक्ष में निरंतर विरोध और बहस का दौर भी जारी रहा।
विपक्षी सदस्यों ने इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने पर कड़ी चिंता व्यक्त की है। सेशन के दौरान सदस्यों ने ‘महात्मा गांधी का अपमान नहीं सहेगा’ जैसे नारे लगाए। विपक्ष का तर्क है कि गांधी जी का नाम योजना से हटाकर उनकी विरासत का अपमान किया गया है।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह का पलटवार
वहीं, केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह ने विपक्ष की आलोचनाओं का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा, “गांधी जी के नाम पर रोने वाले विपक्ष को यह भी याद रखना चाहिए कि महात्मा गांधी ने कहा था कि अब आजादी मिल गई है, तो कांग्रेस को भंग कर देना चाहिए। कांग्रेस की जगह लोक सेवक संघ बनाना चाहिए। लेकिन नेहरू जी ने सत्ता से चिपके रहने और आजादी के आंदोलन का लाभ उठाने के लिए कांग्रेस को भंग नहीं किया।”
गांधी जी के आदर्शों पर कांग्रेस का आरोप
मंत्री ने आगे कहा, “बापू जी के आदर्शों की हत्या कांग्रेस ने उसी दिन कर दी, जब कांग्रेस भंग नहीं की गई। देश का बंटवारा स्वीकार किया गया और इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया, उसी दिन बापू के आदर्शों का कत्ल हो गया।”
नया कानून क्यों लाना पड़ा?
मंत्री ने बताया कि इस नए विधेयक को लाने की जरूरत क्यों पड़ी। उन्होंने कहा, “अधिकांश राज्यों में फंड का बटवारा सही तरीके से नहीं हो पा रहा था। मनरेगा में कई तरह की समस्याएं आ रही थीं। इस योजना में 60 प्रतिशत पैसा मजदूरी के लिए और 40 प्रतिशत सामग्री पर खर्च होता था। लेकिन वास्तव में सामग्री पर केवल 26 प्रतिशत पैसा ही खर्च किया गया। मनरेगा को पूरी तरह से भ्रष्टाचार के हवाले कर दिया गया था।”
क्या है इस विधेयक का मकसद?
नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार, विकास और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। सरकार का दावा है कि यह योजना गांवों का समग्र विकास करेगी और मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करेगी।
विधेयक के पास होने के साथ ही राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। विपक्ष इस कदम को महात्मा गांधी के नाम और उनकी विरासत का अपमान मान रहा है, जबकि सरकार का तर्क है कि यह योजना भ्रष्टाचार पर नियंत्रण लगाने और ग्रामीण विकास को तेज करने के लिए जरूरी है। आगामी दिनों में इस मुद्दे पर अधिक राजनीतिक बहस की संभावना है।
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