पीड़ित परिवार का प्रशासन से न ही मदद और न ही आश्वासन मिलने का आरोप
शव जलाने का बनाया गया दबाव लेकिन परिवार ने दफनाया
पुलिस की पिटाई से मौत का लगाया आरोप
बांकेगंज खीरी। जिला जेल में बंद विचाराधीन बंदी की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज न होना दलित समाज के लोगों में आक्रोश तो है ही साथ ही पुलिस की कार्यशैली की भी चारों ओर निंदा हो रही है । आम जनता के साथ-साथ राजनितिक पार्टियों के नेता भी पुलिस प्रशासन को लेकर तरह-तरह से तंज कस रही है।
क्या था पूरा मामला…
शुक्रवार की रात जिला जेल में विचाराधीन बंदी की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी । जिसमें बंदी का परिवार एसपी आफिस के सामने धरना प्रदर्शन करता रहा लेकिन, एसपी संजीव सुमन मौके से ही गायब हो गये । उसके बाद मृतक धन्मेद्र युवक की पत्नी रेखा देवी ने गोला कोतवाली पुलिस के खिलाफ अपर पुलिस अधीक्षक को एफआईआर दर्ज कराने की तहरीर भी थी लेकिन आरोप है कि उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई । मृतक के को शव के पोस्टमार्टम के बाद उसके गाँव गोला गोकर्णनाथ स्थित मूर्तिहा में भिजवा दिया गया जहां पर प्रशासन ने भारी पुलिस बल तैनात कर दिया ।
वही शनिवार देर शाम मृतक के घर गोला कोतवाल विवेक उपाध्याय भी पहुँचे एक वीडियो मे देखा जा रहा है उन्होने परिवार पर तहरीर बदलने का दबाव डाला । पीड़ित परिवार व ग्रामीणों की मांग थी कि रेखा देवी को एक सरकारी नौकरी दी जाय और उसकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए मुआवजा दिलवाया जाय । रविवार को देर शाम तक जब प्रशासन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला, तब देर शाम को शव का अन्तिम संस्कार करना पड़ा । वही वहां मौजूद तहसीलदार गोला विनोद कुमार गुप्ता , क्षेत्राधिकारी गोला राजेश यादव मीडिया के कैमरे से बचते नजर आ रहे थे साथ ही भारी पुलिस बल मौजूद रहा ।
▪️ भीम आर्मी के जिलाध्यक्ष अनूप गौतम का कहना है कि पुलिस जिसको चाहे, उसका चालान कर जेल भेज दे । गोला कोतवाल पूर्व भी सुर्खियों मेें रहे है और इनका हमारे एसपी साहब साथ दे रहे हैं, यह समझ से परे है । यदि परिवार को न्याय न मिला तो भीम आर्मी पीड़ित परिवार के न्याय की लड़ाई लड़ेगी ।
▪️ बसपा के पूर्व सेक्टर प्रभारी लखनऊ जय सिंह द्रविड का कहना है कि जिले में दलित उत्पीड़न की घटनायें फिर बढ़ रही है । अभी बांकेगंज क्षेत्र में पुलिस द्वारा दलित लड़के को मारा गया था अब गोला में पुलिस की बर्बरता सामने आयी है । उस पर प्रशासन द्वारा परिवार की किसी प्रकार से सहायता न करना है व उसके घर पर शव के अंतिम संस्कार के समय पुलिस फोर्स लगा देना , प्रशासन की कमजोरी दर्शाता है। फिलहाल प्रशासन को पीड़ित परिवार को मुआवजे की राशि देनी चाहिए थी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी चाहिए।
▪️ अधिवक्ता सन्तोष त्रिपाठी का कहना है कि जिला कारागार खीरी में एक विचाराधीन बन्दी धर्मेन्द्र कुमार की मौत के बाद पोस्टमार्टम से लेकर अन्तिम संस्कार तक हो गया । लेकिन, जिला प्रशासन की ओर से मृतका को, एक भी पैसा की सहायता नहीं दी गई, जबकि महामहिम राज्यपाल महोदय, ने भारत के राजपत्र असाधारण भाग II,धारा 3 (i) में, दिनांक 31मार्च 1995 प्रकाशित और प्रभावी करके, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) नियमावली 1995 को सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में प्रभावी कर रखा है।
जिसके उपाबन्ध-1 के सूची क्रमांक 45 में स्पष्ट रुप से प्रावधानित किया गया है, कि, अनुसूचित जाति और जनजाति के परिजन की हत्या या मृत्यु, होने की दशा में, उसके परिवार के पीड़ित को शासन स्तर से कुल आठ लाख पच्चीस हजार रुपए का संदाय निम्नानुसार किया जायेगा: किया जायेगा।
( I) शव परीक्षा (पोस्ट मार्टम)के पश्चात 50प्रतिशत।
(ii)50 प्रतिशत आरोप पत्र न्यायालय को भेजे जाने पर।
इसके अतिरिक्त भी, सूची क्रमांक 46के तहत तमाम क्षतिपूर्तयां प्रावधानित हैं, जिनमें पीड़ित परिवार के सदस्य को रोजगार, बच्चों की मुफ्त शिक्षा के साथ-साथ मृतक व्यक्ति की विधवा को प्रतिमास मु०पांच हज़ार रुपए की मूल पेंशन को दिया जाना सम्मिलित हैं।