
अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रह सकता इसे सच कर दिखाया है बलिया की महिला कांस्टेबल भारती यादव ने। थाने की ड्यूटी निभाते हुए उन्होंने पढ़ाई का सपना नहीं छोड़ा और अब वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त हुई हैं।
कांस्टेबल की ड्यूटी से प्रोफेसर की कुर्सी तक
भारती यादव 2021 बैच की सिपाही हैं और नरही थाने में तैनात थीं। पुलिस सेवा में रहते हुए भी उन्होंने अपनी प्राथमिकता कभी नहीं बदली। टीचिंग क्षेत्र में जाने का सपना लिए वह लगातार पढ़ाई करती रहीं। पुलिस की व्यस्त और चुनौतीपूर्ण ड्यूटी के बावजूद उन्होंने UGC-NET जैसी कठिन परीक्षा पास कर अपने लक्ष्य को हासिल किया।
कभी नहीं मानी हार
भारती कहती हैं कि ड्यूटी के बाद जब भी समय मिलता, वह किताबों में डूब जाती थीं। ड्यूटी और पढ़ाई का तालमेल बैठाना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कभी अपराधियों से दो-चार होने वाली भारती अब छात्रों को शिक्षा के जरिए जीवन की दिशा दिखाएंगी।
समय नहीं, समर्पण ज़रूरी
अपनी सफलता के पीछे भारती समय के बजाय फोकस और समर्पण को जिम्मेदार मानती हैं। उनका कहना है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो कम समय में भी बड़ा लक्ष्य पाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के लिए घंटों की गिनती से ज्यादा जरूरी है विषय को समझना और उस पर टिके रहना।
एसपी के शब्द बने प्रेरणा
भारती बताती हैं कि पुलिस अधीक्षक ओमवीर सिंह ने हमेशा उन्हें पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया। एक मुलाकात में एसपी ने कहा था, पढ़ाई मत छोड़ना,और यही शब्द उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए।
भारती यादव की यह कहानी न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह भी साबित करती है कि वर्दी में भी सपनों को जिया जा सकता है शर्त बस यह है कि इरादे मजबूत हों।