
भारत ने बुधवार तड़के एक समन्वित सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के जवाब में की गई। जिन ठिकानों को लक्ष्य बनाया गया, वे लंबे समय से आतंकियों की पनाहगाह और प्रशिक्षण केंद्र बने हुए थे। इन ठिकानों में बहावलपुर, मुरीदके, चक अमरू, सियालकोट, भीमबेर, गुलपुर, कोटली, बाघ और मुजफ्फराबाद जैसे इलाके शामिल हैं। अब आइए जानते हैं कि इन नौ ठिकानों को ही क्यों निशाना बनाया गया और इनकी रणनीतिक अहमियत क्या है।
1. बहावलपुर
पाकिस्तान के दक्षिणी पंजाब में स्थित बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है। यहीं पर जैश का मुख्यालय ‘मरकज शुभान अल्लाह’ स्थित है। इसी ठिकाने से मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रउफ और अम्मार जैश की गतिविधियां संचालित करते हैं। यह ठिकाना भारत में 2001 के संसद हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसी बड़ी साजिशों से जुड़ा रहा है। भारत ने इसी ठिकाने पर सटीक हमला कर जैश के नेटवर्क को बड़ा झटका दिया।
2. मुरीदके
लाहौर के पास स्थित यह इलाका लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा का मुख्य केंद्र है। यह संगठन 2008 के मुंबई हमलों में शामिल था। यहां ‘मरकज तैयबा’ नामक ट्रेनिंग सेंटर मौजूद है, जो करीब 200 एकड़ में फैला है। अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकियों की ट्रेनिंग यहीं हुई थी। कहा जाता है कि ओसामा बिन लादेन ने भी इस केंद्र को आर्थिक सहायता दी थी।
3. कोटली
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) का यह इलाका आत्मघाती हमलावरों और उग्रवादियों के लिए बड़ा ट्रेनिंग हब माना जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक समय में यहां 50 से ज्यादा आतंकियों को ट्रेनिंग दी जा सकती है।
4. गुलपुर
यह इलाका आतंकियों के लिए लॉन्चपैड की तरह इस्तेमाल होता है, खासकर राजौरी और पुंछ सेक्टर में घुसपैठ के लिए। भारतीय सुरक्षा बलों पर हमलों की योजना यहीं से बनाई जाती है।
5. सियालकोट (महमूना कैंप)
यह हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय कैंप रहा है। हालांकि संगठन की ताकत कम हुई है, फिर भी इसका नेटवर्क अब भी कई इलाकों में मौजूद है।
6. सवाई (तंगधार सेक्टर)
इस इलाके में लश्कर का बड़ा कैंप है, जहां हाल के वर्षों में गांदरबल, गुलमर्ग और पहलगाम जैसे हमलों की योजना बनी थी।
7. सरजाल और बरनाला
ये इलाके अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित हैं और कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ के लिए महत्वपूर्ण लॉन्चपैड माने जाते हैं।
इन ठिकानों को निशाना बनाना इसलिए जरूरी था क्योंकि ये न सिर्फ भारत में आतंकी घटनाओं की साजिश का केंद्र रहे हैं, बल्कि सीमा पार से आतंकवाद को निरंतर समर्थन देने का जरिया भी हैं। ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने यह संदेश दिया कि आतंक का हर गढ़ अब सुरक्षित नहीं रहेगा।
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