
लंदन में भारत और ब्रिटेन के बीच एक ऐतिहासिक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर हुए। यह समझौता ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के आधिकारिक ग्रामीण निवास चेकर्स में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की उपस्थिति में संपन्न हुआ। भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। पीएम मोदी ने इसे “कई वर्षों की मेहनत का परिणाम” और “ऐतिहासिक मील का पत्थर” करार दिया, जो दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक 120 बिलियन डॉलर तक दोगुना करने का लक्ष्य रखता है।
पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को “ऐतिहासिक” करार देते हुए कहा, “भारत और ब्रिटेन के संबंध आज एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं। वर्षों की बातचीत के बाद हम एक व्यापक आर्थिक साझेदारी स्थापित करने में सफल हुए हैं।”
उन्होंने कहा कि भारत के वस्त्र, फुटवियर, समुद्री खाद्य पदार्थ, इंजीनियरिंग उत्पाद, रत्न और आभूषण अब ब्रिटिश बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्धी होंगे। वहीं, ब्रिटेन के उच्च गुणवत्ता वाले मेडिकल डिवाइस और एयरोस्पेस पार्ट्स भारत में सस्ते मिलेंगे।
कृषि और मत्स्य उद्योग को बड़ी राहत
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि इस समझौते से 95% कृषि उत्पादों का निर्यात अब ड्यूटी-फ्री होगा। मछुआरों के लिए भी यह सौदा फायदेमंद है, क्योंकि 99% समुद्री उत्पाद बिना किसी शुल्क के निर्यात किए जा सकेंगे। इससे ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को नई ताकत मिलेगी।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इसे ब्रेक्जिट के बाद का सबसे महत्वपूर्ण व्यापारिक करार बताया। उन्होंने कहा कि यह समझौता ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकेगा, मजदूरी और जीवन स्तर में सुधार लाएगा, और ब्रिटेन को भारत जैसे विशाल बाजार से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।
ब्रिटिश हाई कमीशन के मुताबिक, इस FTA से सालाना £25.5 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा और हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी।
भारत को क्या मिलेगा?
- 99% टैरिफ लाइनों पर ड्यूटी खत्म, जिससे निर्यातकों को सीधा फायदा।
- खासकर टेक्सटाइल, मछली, चमड़ा, जूते, खिलौने और आभूषण जैसे श्रम-प्रधान सेक्टर को बढ़ावा।
- भारत के युवा उद्यमियों और किसानों के लिए नए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुलेंगे।
ब्रिटेन को क्या मिलेगा?
- भारत में औसत टैरिफ 15% से घटाकर 3% किया जाएगा।
- ब्रिटेन की व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटाकर 75%, और 10 साल में घटकर 40%।
- सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉस्मेटिक्स, कार और हेल्थ डिवाइसेज भारत में सस्ते होंगे।
समझौते में आखिर क्या है ?
इस कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट (CEPA) के तहत भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक रुकावटों को कम करने और बाजार पहुंच को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
- 99% भारतीय सामानों पर टैरिफ राहत:
- भारत के 99% निर्यात (मूल्य के आधार पर लगभग 100%) को ब्रिटेन में शून्य शुल्क (Duty-Free Access) का लाभ मिलेगा। इसमें टेक्सटाइल, चमड़ा, जूते, रत्न और आभूषण, समुद्री उत्पाद, खेल सामग्री, खिलौने, इंजीनियरिंग सामान, ऑटो पार्ट्स, और जैविक रसायन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
- खास तौर पर, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उद्योग (जैसे जैकफ्रूट, बाजरा, सब्जियां, और जैविक जड़ी-बूटियां) और समुद्री उत्पाद (जैसे झींगा, टूना, और मछली चारा) को ब्रिटेन के 5.4 बिलियन डॉलर के समुद्री आयात बाजार में बढ़त मिलेगी।
- ब्रिटिश सामानों पर टैरिफ में भारी कटौती:
- भारत में ब्रिटिश सामानों पर औसत टैरिफ 15% से घटकर 3% हो जाएगा।
- स्कॉच व्हिस्की और जिन पर टैरिफ तत्काल प्रभाव से 150% से 75% हो जाएगा और अगले 10 वर्षों में धीरे-धीरे 40% तक कम होगा।
- ऑटोमोबाइल पर टैरिफ कोटा सिस्टम के तहत 100% से 10% तक कम किया जाएगा।
- अन्य ब्रिटिश उत्पाद जैसे सैल्मन, चॉकलेट, बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक्स, कॉस्मेटिक्स, और मेडिकल डिवाइस भी सस्ते होंगे।
- सेवा क्षेत्र में अवसर:
- भारतीय पेशेवरों (आईटी, फाइनेंशियल सर्विसेज, शिक्षा, आर्किटेक्चर, इंजीनियरिंग, टेलीकम्यूनिकेशन) के लिए ब्रिटेन में बाजार पहुंच बढ़ेगी।
- योग प्रशिक्षक, शेफ, और संगीतकार जैसे स्वतंत्र पेशेवरों को अस्थायी वीजा के तहत ब्रिटेन में काम करने की सुविधा मिलेगी।
- भारतीय कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं को ब्रिटेन में 3 साल तक सोशल सिक्योरिटी कॉन्ट्रीब्यूशन से छूट मिलेगी, जिससे सालाना लगभग 463 मिलियन डॉलर की बचत होगी।
- ब्रिटिश कंपनियों के लिए अवसर:
- ब्रिटिश फर्मों को भारत में 38 बिलियन पाउंड के गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में सरकारी खरीद निविदाओं में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा।
- ब्रिटेन की स्वच्छ ऊर्जा और विमानन कंपनियां (जैसे एयरबस और रोल्स-रॉयस) भारत के विशाल बाजार में नई संभावनाएं तलाशेंगी।
आर्थिक प्रभाव और लाभ
- भारत के लिए:
- यह समझौता विकसित भारत 2047 के विजन को मजबूत करता है।
- श्रम-प्रधान क्षेत्रों (टेक्सटाइल, चमड़ा, जूते, और समुद्री उत्पाद) में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, विशेष रूप से युवाओं, किसानों, मछुआरों, और MSME के लिए।
- भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ते ब्रिटिश उत्पाद (जैसे मेडिकल डिवाइस, ऑटोमोबाइल, और सॉफ्ट ड्रिंक्स) उपलब्ध होंगे।
- भारत के प्रीमियम ब्रांडेड उत्पादों (जैसे चाय, कॉफी, और मसाले) को ब्रिटेन में बढ़ावा मिलेगा।
- ब्रिटेन के लिए:
- ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को 2040 तक सालाना 4.8 बिलियन पाउंड का लाभ होगा।
- ब्रिटिश निर्यात में 60% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो 2040 तक 15.7 बिलियन पाउंड तक पहुंच सकता है।
- ब्रिटिश उपभोक्ताओं को सस्ते भारतीय उत्पाद (वस्त्र, जूते, और खाद्य उत्पाद) मिलेंगे।
तीन साल लंबी बातचीत का नतीजा
FTA पर बातचीत की शुरुआत 2022 में हुई थी। तत्कालीन ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने इसे दिवाली 2022 तक पूरा करने की बात कही थी, लेकिन कई मुद्दों पर मतभेद और दोनों देशों में चुनाव के कारण प्रक्रिया लंबी चली। अंततः 2024 के चुनावों के बाद जब भारत में मोदी सरकार और ब्रिटेन में कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी सत्ता में आई, तो समझौते को अंतिम रूप दिया गया।
यह समझौता ना केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत और ब्रिटेन के रणनीतिक संबंधों को भी नई ऊंचाई देगा।
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