
लखनऊ। उत्तर प्रदेश शासन ने समाज कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। इसके अलावा तीन सेवानिवृत्त अधिकारियों की पेंशन में कटौती का निर्णय किया है।
समाज कल्याण विभाग की ओर से रविवार को यह जानकारी दी गई है कि भ्रष्टाचार के कुछ मामले पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से लंबित थे। इन मामलाें की जांच समाज कल्याण विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण की निगरानी में हुई। ये कार्रवाई श्रावस्ती, मथुरा, शाहजहांपुर और औरैया जिलों में हुए घोटालों पर की गई है। विभागीय मंत्री ने सभी मामलों में एफआईआर दर्ज करने के भी निर्देश दिए हैं।
इन अफसरों पर हुई कार्यवाही
पहली कार्यवाही श्रावस्ती जिले में तैनात मीना श्रीवास्तव के खिलाफ की गई है। वे यहां पर तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद मार्च 2008 से 12 अप्रैल 2012 तक तैनात रहीं। इस दौरान मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना के अंतर्गत प्राप्त आवेदन को बिना सक्षम स्तर से स्वीकृत कराये डाटा फीडिंग करना। शादी बीमारी योजना में लाभार्थियों की स्वीकृत सूची में उनके खाता संख्या में हेर-फेर करना। छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि व्यपहरण में संलिप्तता के चलते उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है।
इसी तरह मथुरा में तैनात करुणेश त्रिपाठी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इनके खिलाफ निजी प्राइवेट आईटीआई संस्थानों को अनियमित तरीके से छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान, 11 मान्यताविहीन संस्थानों को 2.53 करोड़ की धनराशि का भुगतान, छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में किया जाना। निजी आईटीआई संस्थानों में 2 वर्ष आयु के बच्चों से लेकर 51 वर्ष तक की आयु वाले व्यक्तियों को आईटीआई पाठ्यक्रम में प्रवेश दिला कर धनराशि का व्यपहरण किया गया। विभाग उन्हें बर्खास्त करने के साथ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली भी करेगा।
हापुड़ जिले में तैनात संजय कुमार ब्यास को भी सेवा से बर्खास्त करते हुए 3.23 कराेड़ रुपये की वसूली करेगा। उनकी तैनाती के दौरान अभिलेखों में कूटरचना करते हुए छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति में गड़बड़ी की गई। शिक्षण संस्थाओं से डेबिट अथारटी लेटर प्राप्त कर छात्रवृत्ति शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि छात्र-छात्राओं के बैंक खातों में न अन्तरित कर 2.74 करोड़ की धनराशि शिक्षण संस्थाओं के बैंक खाते में सीधे अन्तरित करना। इसके साथ ही शाहजहांपुर में तैनात समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार को भी बर्खास्त कर दिया गया है। उनसे 2.52 करोड़ की वसूली की जाएगी। उनके राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत लाभार्थियों के बैंक खाते बदल कर अपात्रों को लाभ पहुंचाया गया।
औरैया में तैनात रहे सेवानिवृत्त तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी श्रीभगवान को वृद्धावस्था पेंशनरों के खातों के नाम हेरफेरी का दोषी है। उनकी तैनाती के दौरान 251 लाभार्थियों के खाते बदल कर अन्य व्यक्तियों के खाते में पेंशन की धनराशि भेजी गयी। जांच में 33,47,400 की शासकीय क्षति पाई गयी है। गबन की धनराशि में से 20 लाख रुपये की वसूली अधिकारी के देयकों से किये जाने तथा उनकी पेंशन से स्थाई रूप से 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी।
मथुरा जिले के तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी विनोद शंकर तिवारी की पेंशन से 50 प्रतिशत स्थाई रूप से कटौती करते हुए 1.96 करोड़ के सापेक्ष वसूली की जाएगी। ये छात्रवृत्ति घोटोले में दोषी पाए गए हैं। इनके अलावा मथुरा में तैनात तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी उमा शंकर शर्मा को भी छात्रवृत्ति घोटाले में दोषी पाया गया है। सेवानिवृत्त की पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थाई रूप से कटौती के साथ शासकीय क्षति रुपये 88,94,040 की वसूली का निर्देश।
समाज कल्याण विभाग के राज्यमंत्री असीम अरुण ने अपने बयान में कहा कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार एक्शन ले रही है। यह कार्यवाही आगे भी जारी रहेगी। ऐसे और मामले जो दबे हुए थे, उनमें भी शीघ्र कार्यवाही होगी और एफआईआर भी दर्ज किया जाएगा।
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