
लंदन। भारत के बाएं हाथ के पूर्व स्पिनर दिलीप दोषी का सोमवार को लंदन में 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। दोषी ने 33 मैचों में 114 टेस्ट विकेट लिए। इसमें छह बार पांच विकेट लेने का कारनामा भी शामिल है। उन्होंने 15 वन-डे मैचों में 3.96 की इकॉनमी रेट से 22 विकेट भी लिए। दोषी ने सौराष्ट्र, बंगाल, वारविकशायर और नॉटिंघमशायर के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी खेला। वह लंबे समय से लंदन में रह रहे थे।
ईएसपीएन की खबर के अनुसार दोषी ने 1970 के दशक में प्रसिद्ध स्पिन चौकड़ी के पदचिह्नों पर चलते हुए 32 साल की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया। वे नॉटिंघमशायर में वेस्टइंडीज के दिग्गज गारफील्ड सोबर्स से भी काफी प्रभावित रहे। दोषी ने 1980 के दशक में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से चुपचाप विदाई ले ली। वह इस समय भारतीय क्रिकेट के संचालन के तरीके से सहमत नहीं थे।
दोषी ने अपनी आत्मकथा ‘स्पिन पंच’ में अपने क्रिकेट के दिनों का एक ईमानदार और सम्मोहक विवरण भी लिखा है। बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने मंगलवार को जारी बोर्ड के बयान में कहा, “दिलीप दोषी के निधन की खबर सुनकर हमें गहरा दुख हो रहा है। वे स्पिन गेंदबाजी के सच्चे खिलाड़ी थे। मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह एक सज्जन व्यक्ति थे और भारतीय क्रिकेट के समर्पित सेवक थे। खेल पर उनका प्रभाव बहुत बड़ा था और उन्होंने अपने कौशल और समर्पण से क्रिकेटरों की एक पीढ़ी को प्रेरित किया। भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। हम इस कठिन समय में उनके परिवार, दोस्तों और पूरे क्रिकेट जगत के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।”
साल 2008 में ईएसपीएन क्रिक इन्फो से दोषी ने कहा था कि “स्पिन बॉलिंग बुद्धि की लड़ाई है।” दोषी को एक विचारशील क्रिकेटर के रूप में जाना जाता था और उन्होंने 1981 के मेलबर्न टेस्ट में अपनी इन खूबियों को सामने लाया। मेलबर्न टेस्ट भारत ने जीता। इस टेस्ट मैच में उन्होंने पांच विकेट लेकर प्रमुख भूमिका निभाई। दोषी ने एक बार पैर के टूटे हुए अंगूठे के साथ प्रसिद्ध टेस्ट खेला। वह सूजन को कम रखने के लिए हर शाम इलेक्ट्रोड लगाते थे। दोषी को अकसर, रोलिंग स्टोन्स के मिक जैगर के साथ देखा जाता रहा है। दोनों 1976 से अच्छे दोस्त थे। दोषी के परिवार में उनकी पत्नी कालिंदी, बेटा नयन और बेटी विशाखा हैं।
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