सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश पूर्व CM गहलोत, जनता की भावना का बताया सम्मान

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज की परिभाषा तय करने को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के 20 नवंबर 2025 के निर्णय पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह मामला “In Re: Definition of Aravalli Hills and Ranges and Ancillary Issues” में स्वतः संज्ञान के तहत सुना गया। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जे.के. महेश्वरी और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की।

गहलोत ने फैसले का किया स्वागत

इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्थगन से वे बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा कि चार राज्यों और पूरे देश की जनता अरावली संरक्षण के मुद्दे पर आंदोलन कर चुकी है और सड़कों पर उतरकर विरोध जता चुकी है। ऐसे में सरकार को जनता की भावना को समझना चाहिए। गहलोत ने कहा कि मौजूदा पर्यावरणीय हालात को देखते हुए अरावली को लेकर आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखकर निर्णय होना चाहिए। सरिस्का सहित पूरे अरावली क्षेत्र में खनन बढ़ाने की सोच भविष्य के लिए घातक साबित हो सकती है।

केंद्र का पक्ष

भारत संघ की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि समिति की रिपोर्ट में कुछ भ्रम की स्थिति है और सरकार पूरी तरह सहयोग करने को तैयार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अनुमति के बिना कोई भी सिफारिश लागू नहीं की जाएगी। साथ ही, योजना तैयार करते समय सार्वजनिक परामर्श की प्रक्रिया अपनाई जाएगी ताकि सभी हितधारकों की राय सामने आ सके।

कोर्ट की अहम टिप्पणियां

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि संरक्षण का दायरा केवल 500 मीटर तक सीमित किया गया तो संरक्षित क्षेत्र का भौगोलिक विस्तार सिमट सकता है, जिस पर स्पष्टता जरूरी है। अदालत ने आगे की सुनवाई 21 जनवरी 2026 को तय की है और तब तक पूर्व निर्णय तथा समिति की सभी सिफारिशों को स्थगित रखने का आदेश दिया है। जरूरत पड़ने पर एक नई उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने के संकेत भी दिए गए हैं।

खनन पर सख्ती जारी

अदालत ने अपने 9 मई 2024 के आदेश को दोहराते हुए साफ किया कि अरावली पहाड़ियों और रेंज में नए खनन पट्टे या पुराने पट्टों के नवीनीकरण सुप्रीम कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना नहीं किए जाएंगे। साथ ही, यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए कहा गया कि इस अवधि में कोई भी अपरिवर्तनीय प्रशासनिक या पर्यावरणीय कदम नहीं उठाया जाए।

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