
लखनऊ । तीन महीने से राजधानी के काकोरी क्षेत्र के 20 गांवों में भय का कारण बने बाघ को बुधवार को पकड़ लिया गया। वन विभाग की टीम ने काकोरी के मीठे नगर में बाघ को ट्रैक्युलाइज किया। बाघ की गिरफ्तारी से ग्रामीणों के साथ-साथ वन विभाग की टीम ने भी राहत की सांस ली है। बेहोश बाघ को अभी रहमानखेड़ा स्थित राज्य कृषि प्रबंध संस्थान में रखा गया है। स्वास्थ्य परीक्षण के बाद उसे गुरुवार को दुधवा टाइगर रिजर्व भेजा जाएगा।
तीन दिसंबर 2024 को काकोरी में पहली बार देखा गया वन्यजीव पहले वन विभाग द्वारा एक बड़ी बिल्ली के रूप में पहचाना गया था, लेकिन 11 दिसंबर को उसने नीलगाय का शिकार करने के बाद बाघ होने की पुष्टि हुई। केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के एक कर्मचारी ने उसे मोबाइल कैमरे में कैद किया था। 12 दिसंबर को नीलगाय के अवशेष मिलने के बाद वन विभाग ने बाघ को पकड़ने की कोशिशें तेज कर दी थीं, लेकिन तीन महीने तक बाघ टीम को धोखा देता रहा और बार-बार स्थान बदलता रहा।

इस दौरान उसने 20 पशुओं का शिकार किया, जिनमें तीन पड़वे भी शामिल थे, जिन्हें बाघ को पकड़ने के लिए वन विभाग ने बांध रखा था। बाघ की हरकतों पर नजर रखने के लिए वन विभाग ने बेंगलुरु से विशेषज्ञ भी बुलाए थे।
मंगलवार को बाघ ने एक पशु का शिकार किया था और यह आशंका जताई जा रही थी कि वह उसी स्थान पर फिर से लौट सकता है। वन विभाग की टीम बुधवार सुबह पांच बजे से ही निगरानी कर रही थी। शाम छह बजे के आसपास बाघ रहमानखेड़ा के पास दिखा, तब उसे बेहोश करने के लिए पहला प्रयास किया गया। पहले प्रयास में बाघ मीठे नगर के पास पहुंचा, फिर उस पर दोबारा वार किया गया। देर बाद वह पूरी तरह से बेहोश हो गया।