
लखीमपुर खीरी : बाघ को वन विभाग ने पकड़ कर लखीमपुर के दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ दिया। पिंजड़े में पकड़े गए इस बाघ को दक्षिण सोनारीपुर रेंज के कोर एरिया में छोड़ा गया। बाघ ने कई पालतू पशुओं को अपना शिकार बनाया था। कुछ नागरिक भी इससे घायल हुए थे। बाघ के डर से इलाके के किसान शाम होने से पहले ही खेतों से घर लौट जाते थे।
स्थानीय लोगों की शिकायतों के बाद वन विभाग ने बाघ को पकड़ने के लिए पिंजड़ा लगाया था। बाघ को पकड़े जाने के बाद पशु चिकित्सकों ने उसका स्वास्थ्य परीक्षण किया। दुधवा में पहुंचने पर डॉ. दया शंकर और डॉ. तलहा ने भी बाघ की जांच की। इसके बाद उसे जंगल में छोड़ा गया, जहां से वह तुरंत घने जंगल में चला गया। इस दौरान दुधवा नेशनल पार्क के उपनिदेशक डॉ रंगा राजू टी, एसडीओ महावीर सिंह, दक्षिण सोनारीपुर रेंज के रेंजर और लखनऊ से आए उपप्रभागीय वनाधिकारी मौजूद थे।
विश्व प्रकृति निधि के क्षेत्रीय अधिकारी भी इस दौरान उपस्थित रहे। बता दें कि बाघ को पकड़ने के लिए ऑपरेशन में 80 लाख रुपए खर्च हुए। 100 से ज्यादा वन अधिकारियों और कर्मचारियों ने दिन रात मेहनत की। बुधवार रात को बाघ को ट्रेंकुलाइज कर लिया गया। थर्मल ड्रोन से पीछा करने के बाद बाघ को 6 ट्रेंकुलाइजर डोज दी गई।
यह पूरा ऑपरेशन करीब 30 मिनट तक चला, इसके बाद बाघ बेहोश हुआ। ट्रेंकुलाइज करने के बाद बाघ करीब आधे किमी भागा, इससे वनकर्मी डर गए थे।