विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने नवंबर के पहले सप्ताह में ही 12,569 करोड़ के शेयर बेचे

New Delhi : अक्टूबर के महीने में खरीदारी का जोर दिखाने के बाद नवंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक एक बार फिर बिकवाल (सेलर) की भूमिका में नजर आने लगे हैं। नवंबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक भारतीय बाजार से अभी तक 12,569 करोड़ रुपये की निकासी कर चुके हैं। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशक लगातार 29वें सप्ताह भी लिवाल (बायर) की भूमिका में बने हुए हैं। सिर्फ पिछले सप्ताह के कारोबार में ही घरेलू संस्थागत निवेशकों ने शेयर बाजार से 16,677.94 करोड़ रुपये की इक्विटी खरीदी।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार नवंबर के पहले अक्टूबर के महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 14,610 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। हालांकि इसके पहले लगातार 3 महीने तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक घरेलू शेयर बाजार से निकासी करते रहे थे। अक्टूबर के पहले सितंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार से कुल 23,885 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की थी जबकि अगस्त के महीने में शेयर बाजार से निकासी का ये आंकड़ा 34.990 करोड़ रुपये का था इसी तरह जुलाई के महीने में भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने घरेलू शेयर बाजार में बिकवाली करके कुल 17,700 करोड़ रुपये की निकासी की थी।

साल 2025 में अभी तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ज्यादातर समय बिकवाल की भूमिका में ही रहे हैं। इस साल एफपीआई ने घरेलू शेयर बाजार में 1.50 लाख करोड़ रुपये से अधिक के शेयरों की बिकवाली की है। नवंबर के महीने में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने डेट मार्केट से जनरल लिमिट के तहत 1,758 करोड़ रुपये की निकासी की। दूसरी ओर, वॉलंटरी रिटेंशन रूट के जरिये विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 1,416 करोड़ रुपये का निवेश भी किया है।

मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली का मुख्य कारण कमजोर वैश्विक संकेत और ट्रेड डील को लेकर बनी अनिश्चितता को माना जा सकता है। इन दोनों वजहों के कारण विदेशी निवेशक जोखिम मुक्त रणनीति अपनाने पर विवश हुए हैं। इसी वजह से नवंबर के पहले कारोबारी सप्ताह में एफपीआई ने बिकवाली की रणनीति अपनायी है।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी का कहना है कि मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के दौरान कॉरपोरेट सेक्टर के नतीजे उम्मीद से बेहतर रहे हैं। खासकर, मिडकैप सेगमेंट में नतीजे काफी अच्छे रहे हैं। इसलिए वैश्विक संकेतों के बेहतर होते ही विदेशी निवेशक एक बार फिर घरेलू शेयर बाजार में खरीदार की भूमिका में लौट सकते हैं।

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