
जबलपुर : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में पहली बार 10 जज केवल जमानत याचिकाओं की सुनवाई के लिए बैठेंगे। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा ने एक प्रशासनिक आदेश जारी किया है, जिसे हाई कोर्ट की वेबसाइट पर देखा जा सकता है। शनिवार, 20 सितंबर को जस्टिस अचल कुमार पालीवाल, जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल, जस्टिस देवनारायण मिश्रा, जस्टिस दीपक खोत, जस्टिस अजय कुमार निरंकारी, जस्टिस हिमांशु जोशी, जस्टिस रामकुमार चौबे, जस्टिस रत्नेशचंद्र सिंह बिसेन, जस्टिस बीपी शर्मा और जस्टिस प्रदीप मित्तल अपनी-अपनी अदालतों में केवल जमानत याचिकाओं की सुनवाई करेंगे।
एमपी हाई कोर्ट में वर्तमान में 3,000 से अधिक जमानत याचिकाएं लंबित हैं। जमानत प्रक्रिया के तहत आरोपी को अपने परिचित के जरिए स्थाई संपत्ति के कागजात कोर्ट में प्रस्तुत करने होते हैं। इन कागजात के आधार पर आरोपी को जमानत मिलती है, जिसमें शर्त होती है कि आरोपी को हर पेशी पर कोर्ट में उपस्थित होना होगा। इसके बाद ट्रायल प्रक्रिया शुरू होती है, जिसमें गवाह और सबूतों के आधार पर आरोपी की सजा या बरी होने का फैसला किया जाता है।
जमानत की व्यवस्था इसलिए है क्योंकि अपराध सिद्ध होने तक किसी को जेल में रखना न्यायसंगत नहीं है। इस प्रक्रिया के तहत विचाराधीन कैदियों को समय पर सुनवाई मिलने की सुविधा होती है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में लगभग 4,80,000 केस पेंडिंग हैं। हाई कोर्ट में कुल 41 जज हैं, और रोजाना उनके पास सैकड़ों मामले आते हैं, जिससे विचाराधीन कैदियों को जमानत के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
स्पेशल जजों की यह व्यवस्था हजारों लोगों को जमानत का लाभ दिलाने में मदद करेगी और न्याय प्रक्रिया को तेज करेगी। वकील एडवोकेट दीपक ने बताया कि इससे जेलों में भी भीड़ कम होगी और जिलों को राहत मिलेगी।
इस तरह, हाई कोर्ट की यह नई पहल जमानत मामलों की सुनवाई में तेजी लाएगी और विचाराधीन कैदियों को न्याय मिलने की प्रक्रिया को सरल बनाएगी।