उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को वीआईपी ट्रीटमेंट मिल रहा है। जेल की बैरक में उसे गर्मी न लगे इसके लिए चार-चार कूलर लगाए हैं। यही नहीं उसके लिए घर से पकाया हुआ पसंद का स्पेशल वेज खाना भी जेल पहुंचाया जाता है। खबरों के मुताबिक आशीष मिश्रा के लिए बाहर से स्पेशल पान भी मंगाया जाता है, वह भी एक या दो बार नहीं बल्कि पूरे 30 से 40। इसके अलावा उसके लिए नए गद्दे और चादर का इंतजाम भी किया गया है। आशीष मिश्रा 24 अप्रैल से लखीमपुर जेल की बैरक नंबर 20 में बंद है। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर खूब चर्चा है। ट्विटर पर ‘मुजरिम है वीआईपी नहीं’ टॉप ट्रेंड है।
एक यूजर अनवीर चहल ने लिखा- भाजपा के नेता ईमानदारी पत्रकारों, कुछ ईमानदार पुलिस अधिकारियों औरवकीलों के खिलाफ अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने की अनुमति क्यों देते हैं? आपको उन नेताओं को बर्खास्त करना चाहिए। मुजरिम है वीआईपी नहीं।
Why are BJP leaders allowed to abuse their power against innocent people, honest journalists, some police officers who are honest and lawyers? You must dismiss those criminal leaders. #मुजरिम_है_VIP_नहीं@tuhanu_ki @MAFIAAQUEEN1313 @itspreetsidhu @Manjeet586 @Gurwind45589679 pic.twitter.com/80BlMBew4D
— Anvir Chahal (@AnvirChahal) May 2, 2022
मोहित गहलोत नाम के यूजर ने लिखा- यह भारत में बहुत सच है और एक बार फिर साबित हुआ है..अगर आपके पास पैसा और ताकत है, चाहे आप कितने भी खतरनाक अपराधी हों, आपको वीआईपी ट्रीटमेंट मिलेगा। अजय मिश्रा टेनी के बेटे के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है जिसने चार किसानों को कुचल डाला था। शर्मनाक।
It’s very true in India, & proved yet again…if you have money & power, no matter how dangerous criminal are you, you will get VIP treatment. Same is happening in case of Monu Mishr Teni son of @ajaymishrteni, who mowed down 4 farmers. Shame!#मुजरिम_है_VIP_नहीं pic.twitter.com/N973mCJORg
— Mohit Gahlot (@_MohitGahlot_) May 2, 2022
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली जमानत को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद मंत्रीपुत्र आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल को सीजेएम कोर्ट में सरेंडर किया था। हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गईं थीं।
मंत्रीपुत्र के लिए जमानत का फैसला हाईकोर्ट ने कैसे सुना दिया इस पर खूब चर्चा भी हुई थी। वकील की दलील के बाद हाईकोर्ट ने फैसले में कहा था कि अभियोजन की दलीलें मान भी लें तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी थे। ऐसे में संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई और यह घटना हो गई।
याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी
याची ने कहा था कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें व लाठियां लिए हुए थे। बहस के दौरान कहा गया कि एसआईटी ऐसा कोई साक्ष्य नहीं पेश कर सकी जिससे साबित हो कि गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाया गया।