मध्यप्रदेश की राजनीति में पांच साल पुरानी सियासी लड़ाई फिर से गरमाई, सिंधिया ने तोड़ी चुप्पी

मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर 2020 में गिरी कमलनाथ सरकार का मुद्दा सुर्खियों में है। हाल ही में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के एक बयान से यह विवाद फिर उठ खड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच मतभेद वैचारिक नहीं, बल्कि व्यक्तिगत थे, और उन्होंने पहले ही चेतावनी दे दी थी कि सिंधिया पार्टी छोड़ सकते हैं। इसके बाद कमलनाथ और अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी इस मसले पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।

सिंधिया का तीखा लेकिन संयमित जवाब

दिल्ली में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सिंधिया ने साफ कहा कि “मैं अतीत में नहीं जाना चाहता,” लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि दोनों नेताओं के बयानों से ही सारी सच्चाई साफ है। उन्होंने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से अपने पुराने पारिवारिक संबंधों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा दोनों को सम्मान दिया है, लेकिन जब सम्मान और स्वाभिमान पर चोट होती है, तो फैसला लेना पड़ता है।

कमलनाथ सरकार गिरने के पीछे की वजहें

सिंधिया ने खुलासा किया कि उन्होंने अपने समर्थक मंत्रियों से कह रखा था कि “काम के लिए मेरे पास मत आओ, सीधे मुख्यमंत्री से बात करो।” उनका कहना था कि उन्होंने सिर्फ उन इलाकों के विकास के लिए दबाव बनाया था, जहां उन्होंने चुनाव प्रचार में कांग्रेस की जीत के बाद विकास का वादा किया था।

सिंधिया ने कहा कि कई बार बंद कमरे में उनके और उनके परिवार को लेकर बातें कही गईं, लेकिन उन्होंने चुप्पी साधे रखी। लेकिन जब सार्वजनिक तौर पर उन पर और उनके परिवार पर बयानबाजी हुई, तो उन्हें “एक्शन लेना पड़ा”। उन्होंने यह भी बताया कि कांग्रेस छोड़ने से पहले उन्होंने इन सब मुद्दों को एक शीर्ष कांग्रेस नेता के सामने रखा था।

दिग्विजय सिंह का बयान और विवाद की शुरुआत

दिग्विजय सिंह ने एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार गिरने की ज़िम्मेदारी उनकी नहीं है, बल्कि उन्होंने पहले ही सिंधिया के पार्टी छोड़ने की आशंका जता दी थी। उन्होंने दावा किया कि एक बड़े उद्योगपति के जरिए दोनों नेताओं को मिलाने की कोशिश की गई, लेकिन कमलनाथ ने सिंधिया की बात नहीं मानी, खासकर ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से जुड़ी मांगों पर।

कमलनाथ का पलटवार

कमलनाथ ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं,” और इसी भ्रम व व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के चलते उन्होंने विधायकों को तोड़ा और कांग्रेस सरकार गिराई। उन्होंने यह भी कहा कि पुरानी बातों को उखाड़ने से कोई लाभ नहीं है।

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