मां-बेेटे ने बंटी-बबली को छोड़ा पीछे! फर्जी दस्तावेजों से हवाई पट्टी बेच डाली, आजादी से पूर्व हुआ था जमीन का अधिग्रहण

फिरोजपुर। आपने अक्सर सुना होगा कि जमीन की जालसाजी में किसी ने किसी का हक हड़प लिया, या फिर नकली दस्तावेजों से संपत्ति का सौदा कर लिया। लेकिन पंजाब के फिरोजपुर में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को चौंका दिया है। यहां एक मां-बेटे की जोड़ी ने भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक हवाई पट्टी को ही फर्जी दस्तावेजों की मदद से बेच डाला।

28 साल पुराना है घोटाला

यह हैरान कर देने वाली घटना करीब 28 साल पुरानी है, जिसका पर्दाफाश अब हाईकोर्ट के निर्देश और विजिलेंस जांच के बाद हुआ है। इस साजिश में मां-बेटे के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। मामला इतना बड़ा था कि यह जमीन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी हुई थी, और उससे जुड़े ऐतिहासिक रिकॉर्ड भी जांच के दायरे में आए।

1997 में फर्जी रजिस्ट्री कराकर दूसरे को बेची जमीन

इस पूरे मामले का खुलासा एक व्हिसलब्लोअर की शिकायत से हुआ। सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी निशान सिंह ने पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के निदेशक को पत्र लिखा और इस धोखाधड़ी की जानकारी दी, जिसमें बताया गया कि दुमनी वाला गांव की उषा अंसल और उनके बेटे नवीन चंद अंसल ने रेवेन्यू अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन का झूठा मालिकाना हक हासिल कर लिया। उन्होंने बताया कि इस जमीन को रजिस्ट्री कराकर 1997 में दूसरे लोगों को बेच दिया गया।

शिकायत के बाद भी जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो निशान सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। कोर्ट ने इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए, पंजाब विजिलेंस ब्यूरो के निदेशक को जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया।

आजादी से पहले हुआ था इस जमीन का अधिग्रहण

जांच में पता चला कि यह हवाई पट्टी फत्तूवाला गांव में है, जो पाकिस्तान सीमा के करीब है। इस जमीन का अधिग्रहण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 12 मार्च 1945 को ब्रिटिश शासन के समय हुआ था, और बाद में यह भारतीय वायुसेना के नियंत्रण में आ गई। इस हवाई पट्टी का उपयोग तीनों युद्धों में लैंडिंग और हवाई संचालन के लिए किया जाता रहा है।

1991 में हो चुकी थी जमीन के असली मालिक की मौत

मामले की जांच में यह भी सामने आया कि उषा अंसल और नवीन चंद अंसल ने निचले स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन का झूठा मालिकाना हक हासिल किया। 1997 में, जब इस जमीन का असली मालिक मदन मोहन लाल की मृत्यु 1991 में ही हो चुकी थी, तब भी उनके नाम का इस्तेमाल कर झूठे दस्तावेज बनाए गए।

मां-बेटे पर इन धाराओं में दर्ज हुई एफआईआर

हाईकोर्ट के आदेश पर विजिलेंस की जांच पूरी होने के बाद, इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इसमें आईपीसी की धाराओं जैसे 419 (छलपूर्वक स्वांग), 420 (धोखाधड़ी), 465, 467, 471 (जालसाजी और जाली दस्तावेज), और 120बी (आपराधिक साजिश) को लगाया गया है। इस केस की जांच डीएसपी करन शर्मा के नेतृत्व में चल रही है, और अभी यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इस जालसाजी में और कौन-कौन शामिल थे।

हाईकोर्ट की फटकार और विस्तृत जांच के बाद, मई 2025 में यह जमीन फिर से रक्षा मंत्रालय को सौंप दी गई। पंजाब सरकार की रिपोर्ट में भी माना गया कि यह जमीन अभी भी 1958-59 के रिकॉर्ड के अनुसार सेना के कब्जे में है।

हाईकोर्ट ने फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर को भी फटकार लगाई कि इतनी गंभीर शिकायत पर समय रहते कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि सीमा के नजदीक इस तरह की अहम जमीन का गलत हाथों में चले जाना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।

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