
Farmers Protest Chandigarh : आज संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने चंडीगढ़ में एक बड़ा आंदोलन करने की घोषणा की है। इस आंदोलन से पहले ही पुलिस ने किसानों को चंडीगढ़ पहुंचने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। चंडीगढ़ में बड़े पैमाने पर सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं और पुलिस ने शहर में प्रवेश करने वाले वाहनों के लिए यातायात डायवर्जन लागू किया है। इस कारण जीरकपुर-चंडीगढ़ मार्ग पर भीषण जाम लग गया है। पुलिस वाहनों की चेकिंग भी कर रही है ताकि कोई संदिग्ध गतिविधि न हो।
मुक्तसर जिले से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए किसानों को पुलिस ने बठिंडा रोड पर गांव भलाईआना में रोक लिया है। इससे किसानों को अपनी यात्रा में रुकावटें आ रही हैं। इस बीच, पटियाला में भी पुलिस ने किसानों के चंडीगढ़ में प्रवेश करने के प्रयास को विफल करने के लिए सुरक्षा को और कड़ा कर दिया है। चंडीगढ़ के मुल्लापुर बैरियर पर भी पुलिस की तैनाती की गई है, और पंजाब से आने वाली हर गाड़ी की जांच की जा रही है।
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने बताया कि एसकेएम द्वारा आयोजित इस आंदोलन में पंजाब के 18 जिलों में कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। अमृतसर में तो 21 स्थानों पर भगवंत मान के पुतले जलाए जाएंगे। इस तरह का विरोध कार्यक्रम पूरे पंजाब में सैकड़ों स्थानों पर होगा। आंदोलन का मुख्य उद्देश्य किसानों के मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकने के लिए सरकार से मांग करना है।
किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता गुरबचन सिंह छाबा ने कहा कि उन्होंने पहली बार ऐसा मुख्यमंत्री देखा है जो किसानों से बातचीत छोड़कर चला जाता है। उनका कहना था कि भगवंत मान सरकार किसानों के घरों पर छापेमारी करती है, उन्हें नजरबंद करती है और गिरफ्तार करवा देती है। उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र सरकार के दबाव में काम कर रहे हैं और किसानों के मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। इस आरोप के साथ उन्होंने कहा कि उनका विरोध शांतिपूर्ण रहेगा और सरकार को किसानों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
चंडीगढ़ पुलिस ने एसकेएम के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए सभी सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी है। एसपी गीतांजलि खंडेलवाल ने कहा कि उन्होंने बैरिकेडिंग की है और सभी जगहों पर कड़ी चेकिंग की जा रही है। इसके अलावा, पुलिस ने ट्रैफिक जाम से बचने के लिए रूट डायवर्जन का भी ऐलान किया है, ताकि लोगों को कम से कम असुविधा हो।
इस आंदोलन के माध्यम से किसान अपने अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें शांतिपूर्वक विरोध करने की अनुमति दी जाए और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए।