
New Delhi : दिल्ली की दक्षिण जिले की साइबर पुलिस ने फर्जी नौकरी दिलाने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश करते हुए नौ आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इन आरोपितों में गिरोह का मास्टरमाइंड, एक टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी और सात महिला टेलीकॉलर शामिल हैं, जो इंडिगो एयरलाइंस के नाम पर बेरोजगार युवाओं को नौकरी का झांसा देकर ठग रहे थे। आरोपितों के कब्जे से 23 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, 19 सिम कार्ड, 8 यूपीआई आईडी, बैंक खातों के क्यूआर कोड और एक वाई-फाई राउटर बरामद किया गया है।
दक्षिण जिले के पुलिस उपायुक्त अंकित चौहान ने शनिवार को बताया कि साइबर थाने में अमरजीत यादव नामक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्होंने ओएलएक्स पर नौकरी खोजते समय इंडिगो एयरलाइंस के नाम से कॉल प्राप्त की। कॉल करने वालों ने इंटरव्यू और यूनिफॉर्म के नाम पर उनसे 11,000 की ठगी कर ली। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की।
पुलिस उपायुक्त के अनुसार तकनीकी विश्लेषण से आरोपितों की लोकेशन सुभाष नगर, तिलक नगर क्षेत्र में मिली। पुलिस ने छापा मारकर मुख्य आरोपित विकास कुमार उर्फ विक्की (38) को गिरफ्तार किया। उसके पास से पांच मोबाइल फोन बरामद हुए। जिनका इस्तेमाल ठगी में किया गया था। पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह अपने सहयोगी बलजीत सिंह (टेलीकॉम कंपनी का कर्मचारी) और अन्य साथियों के साथ गणेश नगर, तिलक नगर में एक फर्जी कॉल सेंटर चला रहा था। वहां सात महिला टेलीकॉलर काम करती थीं जिन्हें “जॉब हाई” और “वर्क इंडिया” जैसे ऑनलाइन पोर्टल्स के जरिए रखा गया था। उन्हें 15,000 प्रतिमाह नकद वेतन दिया जाता था। ये महिलाएं बेरोजगार युवाओं को कॉल कर इंडिगो एयरलाइंस, एयर इंडिया आदि कंपनियों के नाम पर नौकरी का झांसा देतीं और उनसे पैसे ऐंठतीं।
पकड़े गए आराेपिताें की पहचान विकास कुमार उर्फ विक्की, बलजीत सिंह, चरणजीत उफ चारू, शालिनी भारद्वाज, आरती कौर, पलवीन कौर, नंदिनी, पूजा गुप्ता और श्वेता उर्फ शिवानी सिंह के रूप में हुई है।
पुलिस उपायुक्त ने बताया कि गिरोह के सदस्य ओएलएक्स व अन्य प्लेटफॉर्म पर फर्जी नौकरी विज्ञापन डालते थे। इच्छुक उम्मीदवार जब कॉल करते तो टेलीकॉलर खुद को एयरलाइन कंपनी का प्रतिनिधि बतातीं और उन्हें विभिन्न चरणों में पैसे देने के लिए प्रेरित करतीं थी। आरोपित गिरोह पहले 2,500 हजार सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में लेता फिर 5,000 से 8,000 तक यूनिफॉर्म व जूते के खर्च के नाम पर लेते। अंत में 10,000 से 15,000 हजार तक सैलरी अकाउंट खोलने या जॉइनिंग फीस के नाम पर रुपये वसूलते। इन छोटी-छोटी रकमों के कारण अधिकांश पीड़ित शिकायत दर्ज नहीं कराते थे, जिसका लाभ उठाकर गिरोह एक वर्ष से अधिक समय तक सक्रिय रहा।
जांच में पता चला कि बलजीत सिंह, जो एक टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के विकासपुरी स्थित स्टोर में सेकंड इंचार्ज था, ग्राहकों के बायोमेट्रिक डेटा का दुरुपयोग कर फर्जी सिम कार्ड जारी करता था। वह असली ग्राहकों को यह कहकर गुमराह करता कि उनकी सिम वेरिफिकेशन पूरी नहीं हुई है और इस बहाने उनके बायोमेट्रिक का इस्तेमाल कर नई सिम जारी कर देता था। ये सिम बाद में ठगों को दे दी जाती थीं। तकनीकी जांच में खुलासा हुआ कि इन आरोपितों से जुड़े 40 से अधिक मामले राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर दर्ज हैं। गिरोह देशभर के बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाकर फर्जी एयरलाइन नौकरियों के नाम पर ठगी कर रहा था। पुलिस अब अन्य सहयोगियों की तलाश कर रही है।
पुलिस की सलाह
ओएलएक्स , टेलीग्राम या सोशल मीडिया पर आने वाले गारंटीड नौकरी विज्ञापनों से सावधान रहें।
किसी भी नौकरी के लिए फीस, यूनिफॉर्म या ट्रेनिंग के नाम पर पैसा न दें।
कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट या एचआर विभाग से संपर्क कर सत्यापन करें।
संदिग्ध लिंक या ऐप डाउनलोड करने से बचें।
किसी भी साइबर ठगी की सूचना तुरंत नेशनल साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 या www.cybercrime.gov.in पर दें।
हमेशा डिजिटल सुरक्षा का पालन करें टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, मजबूत पासवर्ड और अपडेटेड एंटीवायरस का इस्तेमाल करें।















