
बॉलीवुड से लेकर साउथ तक अपनी एक्टिंग से छाप छोड़ने वाले अभिनेता नील नितिन मुकेश ने कई चुनौतियों का सामना किया है। वह न सिर्फ अपने लुक्स बल्कि अपने परिवार के नाम के कारण भी कई बार आलोचनाओं का शिकार हुए। हालांकि, इन सभी बाधाओं को पार करते हुए उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई। नील नितिन मुकेश का सफर किसी प्रेरणा से कम नहीं है, और उनकी कहानी इस बात का उदाहरण है कि मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है।
1. फिल्मी खानदान से ताल्लुक रखते हुए भी नहीं मिला स्टारकिड्स जैसा मौका
नील नितिन मुकेश बॉलीवुड के दिग्गज सिंगर नितिन मुकेश के बेटे और मशहूर गायक मुकेश के पोते हैं। हालांकि, फिल्मी खानदान से होने के बावजूद उन्हें वह सफलता और मौके नहीं मिले, जो दूसरे स्टारकिड्स को मिले थे। नील के लिए यह साबित करना मुश्किल था कि उनका नाम उनकी पहचान नहीं है, बल्कि उनकी मेहनत और कौशल ही उनकी पहचान होगी।
2. लुक्स और फैमिली बैकग्राउंड को लेकर हुई आलोचनाएं
नील नितिन मुकेश ने एक इंटरव्यू में बताया कि कैसे लोग उनकी शक्ल और परिवार के बैकग्राउंड को लेकर उन्हें जज करते थे। उनके लुक्स को लेकर कई सवाल उठाए जाते थे, और लोग अक्सर यह पूछते थे कि क्या वह अच्छे से हिंदी बोल सकते हैं क्योंकि उन्हें ‘फिरंगी’ यानी विदेशी जैसा दिखने वाला माना जाता था। इसके अलावा, उनकी अभिनय क्षमता पर भी सवाल उठाए गए थे।
3. खुद पर विश्वास और डर को मात दी
नील ने यह भी बताया कि उन्हें अपनी पहली फिल्म मिलने से पहले किसी तरह का डर था, लेकिन उन्होंने खुद को कभी हारने नहीं दिया। उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि वह मुकेश जी के पोते और नितिन मुकेश के बेटे होने के बावजूद खुद को साबित करने के लिए तैयार थे। उन्होंने कहा, “जब तक मुझे मेरी पहली फिल्म नहीं मिली, तब तक मैं खुद पर किसी भी डर को हावी नहीं होने देता था।”
4. आलोचनाओं को सकारात्मकता में बदला
नील नितिन मुकेश ने खुद की आलोचनाओं और शक को अपनी ताकत बना लिया। वह मानते थे कि यदि लोग उन्हें कमतर मानते हैं, तो यह उनकी कमजोरी नहीं बल्कि उनकी सफलता का कारण बनेगा। उनका दृढ़ विश्वास था कि वे खुद को साबित करेंगे और उनका अभिनय ही उनके लिए सबसे बड़ी पहचान बनेगी।
5. करियर की शुरुआत और संघर्ष
नील ने फिल्मी करियर की शुरुआत 1988 और 1989 में ‘विजय’ और ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ जैसी फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर की थी। इसके बाद उन्होंने 2002 में फिल्म ‘मुझसे दोस्ती करोगे’ में सहायक निर्देशक के रूप में भी काम किया। लेकिन बतौर लीड एक्टर उनकी शुरुआत 2007 में फिल्म ‘जॉनी गद्दार’ से हुई, जिसने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया।
6. सफलता का मार्ग: मेहनत और आत्मविश्वास
नील नितिन मुकेश ने दिखाया कि असली सफलता कठिनाई से लड़ने और आत्मविश्वास से मिलती है। न केवल उन्होंने अपने परिवार के नाम को पछाड़ते हुए खुद को साबित किया, बल्कि अपनी मेहनत से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई।
7. “हिसाब बराबर” तक का सफर
नील नितिन मुकेश की अंतिम फिल्म ‘हिसाब बराबर’ 2024 में रिलीज हुई। यह फिल्म उनके करियर के एक और महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा सकती है, जो उनके अभिनय की विविधता और सामर्थ्य को दर्शाता है।
8. नील नितिन मुकेश का परिवार: प्रेरणा और समर्थन
नील नितिन मुकेश के पिता नितिन मुकेश और दादा मुकेश की परंपरा ने उन्हें हमेशा प्रेरित किया। हालांकि, फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखने के बाद नील ने अपने परिवार से कहीं ज्यादा खुद पर विश्वास किया और खुद को एक स्टार के रूप में स्थापित किया।
9. बॉलीवुड और साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सफलता
नील नितिन मुकेश ने न केवल बॉलीवुड बल्कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी छाप छोड़ी है। उनका अभिनय हर तरह की भूमिका में प्रभावशाली रहा है, और दर्शकों ने उनकी एक्टिंग को खूब सराहा है।
10. आने वाले वक्त में नील नितिन मुकेश का भविष्य
हालांकि नील ने बहुत संघर्ष किया है, लेकिन उनके लिए भविष्य काफी उज्जवल है। वह अब एक स्थापित अभिनेता के तौर पर अपने करियर को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं।















