
Etah : जिले में जल निगम की लापरवाही और भ्रष्टाचार का ऐसा घिनौना चेहरा सामने आया है, जिसे देखकर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा है। दैनिक भास्कर की स्टिंग-जांच और सच्चाई उजागर करने वाली रिपोर्ट के बाद पूरा विभाग बैकफुट पर आ गया।
मारहरा ब्लॉक के लालपुर कल्याणपुर में पानी की पाइपलाइन के लिए बनाए गए चेंबरों में जिस तरह घटिया सामग्री, पुरानी टूट चुकी ईंटें, और रेत जैसे कमजोर मसाले का इस्तेमाल किया गया, वह बताता है कि जल निगम के जिम्मेदार अधिकारी जनता की जान को ठेकेदारों की जेब के आगे बेच चुके थे।
खुलासा: सरकारी बजट की सीधी लूट — खड़ंजे की कबाड़ ईंटों से काम पूरा!
निरीक्षण में सामने आया कि जहां नई मजबूत ईंटें लगनी चाहिए थीं, वहां खड़ंजा तोड़कर निकाली पुरानी ईंटें लगा दी गईं। जिन ईंटों की कीमत भी नहीं लगती, उससे सरकारी फाइलों में लाखों रुपए का काम दिखाया गया। चेंबरों को जोड़ने के लिए जो मसाला लगाया गया वह बारिश की एक बूँद में घुल जाने लायक था। यह सिर्फ लापरवाही नही बल्क पूरी तरह से सोचा-समझा भ्रष्टाचार था।
दैनिक भास्कर की खबर न चलती तो आज किसी की जान जा सकती थी
मुख्य मार्ग पर जो चेंबर बनाए गए थे, वे इतने कमजोर थे कि भारी वाहन का हल्का सा दबाव भी चेंबर को ध्वस्त कर देता
बड़े हादसे में कई लोगों की जान जा सकती थी ग्रामीणों की सुरक्षा सीधे खतरे में थी यह भ्रष्टाचार नहीं, जनता की जान से किया गया अपराध था।
बड़ा सवाल — चेंबर गिराए, पर दोषियों पर कार्रवाई कब?
अधिशाषी अभियंता विश्वजीत सिंह ने मामला उजागर होने के बाद चेंबर गिरवा दिए। लेकिन इससे एक और बड़ा सवाल खड़ा होता है—
चेंबर किसके आदेश पर बनाए गए थे? घटिया सामग्री किसने पास की? फर्जी बिलों पर किसने हस्ताक्षर किए? सरकारी बजट आखिर गया कहां? क्या अब विभाग केवल “तुड़वा देने” से अपनी जिम्मेदारी खत्म मान लेगा? या जल निगम में फैले भ्रष्टाचार की जड़ तक जाकर जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई होगी?
सरकार का बजट… और अफसरों-ठेकेदारों की मिलीभगत!
ग्रामीणों का आरोप है कि
“सरकार पैसा देती है सुविधा के लिए लेकिन आधा पैसा सड़क तक पहुंचने से पहले ही अफसर-ठेकेदार गटक जाते हैं।” इस परियोजना में भी वही कहानी दोहराई गई। नीचे से ऊपर तक किस स्तर पर जेबें भरी गईं, इसकी जांच जरूरी है। मानकों की धज्जियां उड़ाईं — जनता की जान जोखिम में डाली
लालपुर कल्याणपुर में किया गया निर्माण तकनीकी मानकों के पूरी तरह खिलाफ था। एक भी नियम का पालन नहीं किया गया। विभाग की मिलीभगत के बिना ऐसा संभव ही नहीं। यह भ्रष्टाचार नहीं, जनता की सुरक्षा के नाम पर किया गया षड्यंत्र है।
ग्रामीणों की एकजुट मांग — “दोषी बचेंगे नहीं!”
ग्रामीणों ने loud and clear कहा कि उच्च स्तरीय जांच हो
फंड हड़पने वाले अधिकारियों पर FIR हो ठेकेदार की लाइसेंस निरस्त हो निर्माण एजेंसी को ब्लैकलिस्ट किया जाए
दैनिक भास्कर का सवाल प्रशासन से
क्या एटा प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर दोषियों पर लाठी चलाएगा?
या यह मामला भी फाइलों में दबाकर खत्म कर दिया जाएगा?










