Etah : ताले में कैद शिक्षा का मंदिर, समय पर पहुंचे बच्चे शिक्षक नदारद

Etah : जनपद एटा की शिक्षा व्यवस्था आज “राम भरोसे” की भयावह मिसाल बन चुकी है। जिस प्राइमरी विद्यालय का समय प्रातः 9:30 बजे निर्धारित है, वही विद्यालय 9:56 बजे तक भी नहीं खुल सका। बंद गेट के बाहर नौनिहालों की भीड़ खड़ी रही कंधों पर बस्ते, आंखों में सपने और पैरों में धैर्य। विडंबना यह है कि इसी विद्यालय प्रांगण में बीईओ कार्यालय भी स्थित है, लेकिन अध्यापक हों या अधिकारी, सभी समय से पहले ही व्यवस्था से गायब नजर आए। उपस्थित थे केवल बच्चे जो नियमों का पालन करना जानते हैं, जबकि नियम लागू कराने वाले स्वयं नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। क्षेत्रीय लोगों ने लापरवाहों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

यह दृश्य एटा शहर के शिकोहाबाद रोड स्थित एक विद्यालय के शिक्षकों और बीईओ कार्यालय के अधिकारियों तथा कर्मचारियों की लापरवाही का है। यह लापरवाही केवल इसी एक विद्यालय की नहीं, बल्कि पूरे तंत्र की संवेदनहीनता का कठोर प्रमाण है। जब शहरी क्षेत्र के स्कूलों में यह दुर्दशा है, तो ग्रामीण अंचलों की शिक्षा व्यवस्था की कल्पना ही भयावह हो उठती है।

समयपालन, अनुशासन और जवाबदेही जैसे मूलभूत मूल्य यदि शिक्षालयों में ही लुप्त हो जाएँ, तो भविष्य की नींव कैसे सुदृढ़ होगी? प्रश्न यह नहीं कि बच्चे देर से क्यों पहुँचे वे तो समय पर थे। प्रश्न यह है कि शिक्षक और अधिकारी अपने कर्तव्यों से समय पर क्यों अनुपस्थित हैं?

शिक्षा विभाग की यह शिथिलता केवल प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक पीढ़ी के भविष्य के साथ किया गया घोर अन्याय है। अब मौन नहीं, कठोर उत्तरदायित्व और त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है, अन्यथा “शिक्षा का मंदिर” यूँ ही बंद दरवाज़ों के पीछे दम तोड़ता रहेगा।

यह भी पढ़े : इंडिगो संकट: दिल्ली हाई कोर्ट का मुआवजा और जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें