
Etah : स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के सरकार के दावों के विपरीत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मलावन में लापरवाही चरम पर है। जहां एक तरफ सरकार गरीबों को निःशुल्क दवाएं और उपचार उपलब्ध कराने की बात करती है, वहीं यहां डॉक्टर ड्यूटी से नदारद मिले और जीवन रक्षक दवाएं कूड़े में सड़ी पड़ी मिलीं, जिनकी एक्सपायरी भी नहीं थी।
शिकायत के आधार पर दैनिक भास्कर टीम ने जब PHC मलावन का निरीक्षण किया तो ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक गायब मिले। सुबह से इलाज के लिए पहुंचे मरीज घंटों लाइन में खड़े रहे, लेकिन उन्हें डॉक्टर का कोई अता-पता नहीं मिल सका।

एक विकलांग महिला मरीज सोनी ने बताया—
“मैं सुबह 11 बजे से बैठी हूं, दोपहर 1:20 बज गए लेकिन डॉक्टर नहीं आए। बुखार से बदन टूट रहा है, इलाज करने वाला कोई नहीं।”
अन्य मरीजों ने आरोप लगाया कि डॉक्टर कभी-कभार आते हैं और आते भी हैं तो 10–15 मिनट रुककर बिना दवा दिए लौट जाते हैं।
निरीक्षण के दौरान अस्पताल परिसर में सरकार द्वारा भेजी गई जीवन रक्षक दवाएं कूड़े के ढेर में पड़ी मिलीं, जबकि उनकी एक्सपायरी डेट नहीं गुजरी थी।
इससे स्पष्ट है कि दवाएं खराब नहीं थीं बल्कि लापरवाही से फेंकी गईं, जिससे मरीजों को मुफ्त इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा।
ग्रामीणों ने कहा कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि जनता के स्वास्थ्य से सीधे खिलवाड़ है। उन्होंने केंद्र की जांच कराकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।
एटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा—
“यदि केंद्र पर चिकित्सक अनुपस्थित हैं तो तुरंत जांच करवाई जाएगी। एक्सपायरी न होने के बाद भी दवाओं को कूड़ेदान में फेंकना गलत है। सभी पहलुओं की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।”










