Etah : पेटीएम से रिश्वत लेते लेखपाल पर गिरी गाज, एसडीएम ने किया सस्पेंड

Etah : पेटीएम में रिश्वत की रकम का भुगतान कराने के मामले में राजस्व लेखपाल पर कार्रवाई की गई है। एसडीएम अलीगंज ने लेखपाल को निलंबित कर जांच तहसीलदार को सौंप दी है। रिश्वत का स्क्रीनशॉट और वीडियो वायरल होने से राजस्व विभाग की फजीहत हो रही थी।

जैथरा विकास खंड के गांव सिराऊ निवासी पीड़िता बृजेश ने अपनी मां की मृत्यु के बाद वरासत के रूप में अपना नाम दर्ज कराने के लिए 21 नवंबर 2025 को ऑनलाइन आवेदन किया था। जमीन की खातेदार उनकी मां उमा देवी की मृत्यु 20 अगस्त 2023 को हो गई थी। वरासत में नाम दर्ज कराने के नाम पर लेखपाल लगातार टालमटोल करता रहा। आरोप है कि जब तक रुपये नहीं दिए गए, तब तक वरासत की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ाई गई। छह खातों की वरासत के लिए लेखपाल ने कुल 12 हजार रुपये की मांग की थी। प्रति खाता दो हजार रुपये तय किए गए थे। इनमें से 10 हजार रुपये आरआई और तहसीलदार के नाम पर बताए गए, जबकि डेढ़ हजार रुपये लेखपाल ने अपने लिए मांगे। यह पूरी रकम कस्बा जैथरा में श्री गांधी सार्वजनिक इंटर कॉलेज के सामने स्थित शिव जनसेवा केंद्र संचालक कौशवीर के पेटीएम खाते में डलवाई गई।

पीड़िता के स्वजनों ने लेखपाल की सारी करतूत के वीडियो और स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल कर दिए। वायरल वीडियो में लेखपाल और पीड़िता के स्वजन के बीच वरासत को लेकर सौदेबाजी होती दिखाई दे रही थी। सौदेबाजी के बाद लेखपाल तय रकम को जनसेवा केंद्र संचालक के पेटीएम में डलवा रहा था। पहली बार 10 हजार रुपये और दूसरी बार 1500 रुपये की रकम पेटीएम खाते में भुगतान की गई। इसके बाद भी लेखपाल प्राप्त रकम से संतुष्ट नहीं हुआ और 500 रुपये की मांग और कर दी।

सोशल मीडिया पर रिश्वतखोरी के स्क्रीनशॉट और वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासनिक अमले में खलबली मच गई। महकमे की हो रही फजीहत के बाद एसडीएम अलीगंज जगमोहन गुप्ता ने लेखपाल रोहित चौधरी को निलंबित कर दिया। एसडीएम ने बताया कि लेखपाल को निलंबित कर जांच तहसीलदार को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

केंद्र संचालक पर नहीं हुई कोई कार्रवाई

एटा। जैथरा के जिस जनसेवा केंद्र पर रिश्वत का सौदा हुआ और रकम पेटीएम की गई, उस केंद्र संचालक पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि सूत्र बताते हैं कि यह जनसेवा केंद्र क्षेत्र के लेखपालों के बैठने का मुख्य स्थान है और केंद्र संचालक के माध्यम से ही यहां राजस्व से जुड़े मामलों के सौदे तय होते हैं। इसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर अभी तक केंद्र संचालक के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जो चर्चा का विषय बना हुआ है।

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