
Etah : जनपद के राजकीय पशु चिकित्सालय की स्थिति इन दिनों किसी उपेक्षित आश्रयगृह से कम नहीं प्रतीत होती। बीते दो महीनों से यहां औषधियों के अभाव के चलते पशुपालक चिंतित हैं। जिन दवाओं के सहारे असंख्य मूक प्राणियों का उपचार होना चाहिए था, वे अब केवल रजिस्टरों और सरकारी रिपोर्टों तक ही सीमित रह गई हैं। पशुपालकों को मजबूरन अपने पशुओं के लिए बाजारों से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दोहरा प्रहार हो रहा है।
प्रदेश सरकार द्वारा पशुधन कल्याण के लिए संचालित की जाने बाली योजनाओं पर बजट की घोषणाओं की भले ही डींगे मारी जा रही हों, लेकिन ज़मीनी सच्चाई तो यह है कि पशु चिकित्सालयों के स्टोररूम महीनों से खाली पड़े हैं। नतीजा यह है कि पशुपालक अपने पशुओं को लेकर सरकारी अस्पतालों में उपचार की आशा लेकर आते हैं और निराश होकर लौटने पर उन्हें मजबूरन प्राईवेट चिकित्सकों से उपचार कराना पड रहा है। पशुपालकों का आरोप है कि पशु चिकित्सालयों में न तो समय पर औषधि उपलब्ध हो रही है और न ही पर्याप्त चिकित्सक। ऐसे में ‘पशु स्वास्थ्य मिशन जैसे नारों का अर्थ केवल भाषणों की शोभा बढ़ाने तक सीमित रह गया है। पशुपालकों ने डीएम प्रेमरंजन सिंह एवं सीवीओ डॉ0 आर0 वी0 सिंह से अस्पतालों में दवा उपलब्ध कराये जाने की मांग की है।
क्या बोले सीवीओ-
डॉ0 रामब्रज सिंह सीवीओ एटा ने कहा कि अस्पतालों में दवाई की पर्याप्त उपलब्धता है जिन चिकित्सकों ने मुख्यालय से दवाइयां नहीं उठाई है उनको चेतावनी दी गई है यदि इसके बाद भी पालन नहीं किया गया तो उनके बिरूद्ध विभागीय कार्रवाई अमल में लाई जायेगी।












