
उत्तराखंड। उत्तराखंड के देहरादून जिले में जिलाधिकारी सविन बंसल द्वारा प्रारंभ किया गया ‘प्रोजेक्ट उत्कर्ष’ सरकारी स्कूलों में आधुनिक सुविधाओं के विस्तार की दिशा में एक प्रभावी पहल बनकर उभर रहा है। इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य सरकारी स्कूलों को स्मार्ट और आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि यहां पढ़ने वाले छात्र किसी भी निजी स्कूल के छात्रों से पीछे न रहें।
आधुनिक सुविधाएं और डिजिटल क्लासरूम की स्थापना
प्रोजेक्ट उत्कर्ष के अंतर्गत जिले के स्कूलों में फर्नीचर, एलईडी स्क्रीन, डिजिटल क्लासरूम, वाईट बोर्ड, एलईडी लाइट्स, खेल के लिए अधोसंरचना, रसोईघर, पुस्तकालय और बिजली आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं।
जिले के 168 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में जल्द ही 884 एलईडी टीवी लगाए जाएंगे, जिसके लिए जेम पोर्टल पर क्रय आदेश जारी कर दिए गए हैं। इन प्रयासों को खनन न्यास, जिला योजना और सीएसआर फंड से ₹6 करोड़ की राशि से गति दी जा रही है।
ओएनजीसी और हुडको का सहयोग
इस परियोजना में ओएनजीसी और हुडको जैसे संस्थानों ने भी सहयोग किया है।
- ओएनजीसी ने स्कूलों में फर्नीचर और अन्य आवश्यक व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई हैं।
- हुडको द्वारा एलईडी स्क्रीन, बल्ब और अन्य उपकरणों की व्यवस्था की गई है।
शिक्षा के साथ संस्कार और कौशल विकास पर भी ध्यान
डीएम बंसल की पहल पर अब स्कूलों में महापुरुषों की जीवनियाँ, डिक्शनरी, समाचार पत्र और मैगजीन भी अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को न केवल शैक्षणिक रूप से सक्षम बनाना है, बल्कि उन्हें संस्कार, नैतिक शिक्षा और कौशल विकास से भी जोड़ना है।
खेल और मनोरंजन के साथ ज्ञानवर्धन
स्कूलों में अब कॉमिक्स, खेल-कूद, न्यूजपेपर व मैगजीन के माध्यम से बच्चे देश-दुनिया से जुड़ेंगे और मनोरंजन के साथ सीखने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जाएगा।
स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित
डीएम ने यह भी सुनिश्चित किया है कि सभी स्कूलों में शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय, रसोईघर की व्यवस्था, टंकियों की सफाई, सुरक्षा के उपाय और गुणवत्तायुक्त पोषण युक्त भोजन भी उपलब्ध हो। इसके लिए उन्होंने संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों और मुख्य शिक्षा अधिकारी को विशेष निर्देश दिए हैं।
प्रधानाचार्यों को मिली ₹1 करोड़ की फ्लेक्सिबल राशि
जिलाधिकारी ने सभी विद्यालयों को आवश्यकतानुसार विकास के लिए ₹1 करोड़ की फ्लेक्सिबल राशि प्रधानाध्यापकों के विवेक पर उपयोग हेतु उपलब्ध कराई है, ताकि विद्यालयों की जरूरतों के अनुसार त्वरित निर्णय और कार्यान्वयन किया जा सके।