जब कुछ करने की चाह हो, तो उम्र मायने नहीं रखता। मात्र 10 साल की उम्र में बेंगलौर निवासी मन्या हर्षा, जो कि एक एन्वाइरन्मेंट एक्टिविस्ट है,। वो वातावरण के तरफ काफी आकर्षित है।
मान्या की उम्र छोटी है, मगर उन्होंने इस उम्र में ही प्रकृति और पॉल्यूशन के ऊपर कविताएं लिखी है। वो जल बचाओ अभियान में भी अपना बहुमूल्य योगदान दे रही है। इनके इस उलब्धि के लिए यूएन वॉटर ने इनके कार्य को अपने सोशल मीडिया पर शेयर किया और काफी पसंद किया।
इसके अलावा भी मान्या ने प्रकृति की सुरक्षा के लिए बहुत अच्छे काम किए, ताकि ये साबित हो सके कि उम्र बस एक संख्या है, पृथ्वी के लिए कुछ करने के लिए उम्र की जरूरत नहीं होती। मान्या ने इतनी कम उम्र में प्रकृति पे किताब लिख डाली जिसके लिए उन्हें इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, वाजरा बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इंडिया, गोल्डन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एक्सक्लूसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, कर्नाटका अचीवर बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से नवाजा गया।
मान्या एक रिसाइकलर है और उसने लॉकडाउन के दौरान इको फ्रेंडली वेजीटेबल पेपर का आविष्कार किया है। उन्होंने कई किताबें लिखी है जिसमें उन्होंने प्रकृति, जल, और पॉल्यूशन पर उन्होंने लिखा है। उनके नाम दी वॉटर हीरोज, वंस उपोन ए टाइम इन 2020, नेचर आवाउर फ्यूचर। 10 साल की उम्र में उन्होंने पूरे 5 किताबें लिखी है।
इसके अलावा मान्या को काफ़ी सारे अवॉर्ड्स भी मिले है, क्यूंकि आज तक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसने इतने कम उम्र में सिर्फ प्रकृति के बारे में इतना सोचा। मान्या ने सिर्फ सोचा ही नहीं, बल्कि उसके लिए कदम उठाया।
“हम अक्सर कहते हैं कि प्रकृति हमारा भविष्य है! सबसे खूबसूरत ग्रह पृथ्वी का एक हिस्सा होने के नाते, क्या आपको नहीं लगता कि हमारे भविष्य को स्वच्छ और हरा-भरा रखना हमारी जिम्मेदारी है? यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सामूहिक रूप से हरित पृथ्वी का निर्माण करें। एक स्वच्छ बिना किसी पारिस्थितिक संकट के हरी-भरी धरती, एक ऐसी हरी-भरी धरती जहां हमारी आने वाली पीढ़ियां बिना मास्क और दवा के रह सकें! मैं व्यक्तिगत रूप से महसूस करता हूं, जागरूकता का प्रसार और लोगों को शिक्षित करना जो हमने पहले ही खो दिया है, और जो हम केवल भविष्य में खो देंगे, वह एकमात्र समाधान है स्वयं मनुष्य द्वारा मानव जाति के बड़े पैमाने पर विनाश को रोकने के लिए। और अब से पाठकों के बीच जागरूकता पैदा करने और प्रेरित करने के लिए, मेरी कलम के साथ एक सतत पर्यावरण की ओर मेरी यात्रा शुरू हुई। ” मान्या हर्षा कहती हैं