पर्यावरण : डॉ. अनिल राय बोले… वेद की ऋचाओं से प्रकृति संरक्षण की सीख लेनी होगी

  • पर्यावरण असंतुलन से निपटने के लिए मनुष्य और प्रकृति का सामंजस्य जरूरी: प्रो. हिमांशु शेखर झा

लखनऊ। वेदों में कहा गया है कि माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः। यह श्लोक ही प्रकृति प्रेम का सुन्दर उदाहरण है। हम भारतीय सभ्यता के लोग पृथ्वी में अपने मातृत्व की तलाश करते हैं, क्योंकि एक मनुष्य के जीवन में मां का दर्जा सबसे ऊपर है। ये धरती हमारी मां है और हमारे पूर्वजों ने वेद की ऋचाओं में यह कहकर हमें अपनी मातृत्व का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने की सीख दी है। परन्तु आज पृथ्वी माता के जीवन और अस्तित्व पर सबसे बड़ा खतरा पर्यावरण प्रदूषण रूपी दानव से है, जिसका समाधान हम सभी को मिलकर करना होगा। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अनिल राय ने ‘प्रकृति और मनुष्य’ विषय पर विमर्श में भाग लेते हुए यह बात कही। वो शुरूआत के तत्वावधान में समीर प्रकृति संग्रहालय, केशवपुर, लाटघाट में आयोजित कार्यक्रम में पहुंचे थे।

मुख्य अतिथि प्रोफेसर हिमांशु शेखर झा ने कहा कि वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक के धर्मग्रन्थ और साहित्य में ऐसे अनेकों उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिसमें मनुष्य और प्रकृति का सामंजस्य नजर आता है परन्तु आज हम वही सामंजस्य बनाये रखने में विफल हो रहे हैं, जिसका खामियाजा मनुष्य से लेकर प्रत्येक जीव-जंतु को भुगतना पड़ रहा है।


प्रस्तावना स्वरूप अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. अमित राय ने कहा कि आजमगढ़ के देवारा क्षेत्र लाटघाट पहले पिछडे़ क्षेत्र के रूप में जाना जाता था परन्तु इस क्षेत्र को शिक्षा और विकास की तरफ अग्रसर करने में कई विभूतियों ने प्रयास किया और आज का युवावर्ग भी कर रहा है। इसी क्रम में यह प्रकृति संग्रहालय एक मिशाल कायम करेगा। उन्होंने कहा कि इस विचार गोष्ठी में ‘शिक्षकगण का सम्मान’ कार्यक्रम काफी सुखद रखा। इस प्रकार के कार्यक्रमों से हमें अपनी जड़ों और विरासत से जुड़ने का अवसर मिलता है।

सामाजिक कार्यकर्ता शेषनाथ राय ने कहा कि पंचायत की राजनीति में पर्यावरण हितैषी व्यक्ति का चुनाव करना होगा। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा कि जिस प्रकार से प्राकृतिक असंतुलन हो रहा है, उसके समाधान के लिए प्रशासन और जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा नहीं तो आने वाले समय में और भी कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं भाजपा नेता मनीष मिश्रा ने कहा कि पर्यावरण की इस विश्वव्यापी समस्या से निपटने के लिए सरकार द्वारा भी कई योजनायें चलायी जा रही हैं, जिसमें एक पेड़ मां के नाम जैसी योजना को प्राथमिकता दी जा रही है, इससे नयी पीढ़ी अपनी समय की समस्या से अवगत हो सकेंगे। भाजपा नेता, अरविंद जयसवाल ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण एवं पर्यावरण जागरूकता के लिए प्रेरित करने के लिए मीडिया भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि युवाओं द्वारा लिखे कविता एवं लेख को समाचार पत्रों में प्राथमिकता देने से युवाओं को इस दिशा मे गहराई तक जानने की ललक पैदा होगी।

भाजपा नेता घनश्याम पटेल ने कहा है प्रकृति और मनुष्य के रिश्ते पर आयोजित विमर्श से अवश्य ही नागरिक समाज एवं हमारे युवा पर्यावरणीय समस्या से अवगत हो सकेंगे तथा इसके समाधान के लिए आगे आयेंगे। शिब्ली डिग्री कालेज के प्रोफेसर डा. अलाउद्दीन ने कहा कि हम जलवायु परिवर्तन के समय में पर्यावरणीय चुनौतियों से जूझ रहे हैं। इसका यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ तो हमें कोरोना से भी भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे।


राहुल सांकृत्यायन स्कूल के प्रबन्धक एवं कारवां पत्रिका के संपादक रविन्द्र राय ने कहा कि जून और जुलाई का महीना पौधारोपण का सबसे उपयुक्त समय है। इसलिए मैं इस मंच से सभी शिक्षण संस्थाओं से अपील करता हूं कि प्रकृति और मनुष्य का यह विमर्श तभी सफल होगा जब सभी स्कूल अपने प्रत्येक विद्यार्थी से अपने घर, खेत या खलिहान में एक-एक पौधा अवश्य लगाएं एवं उसका संरक्षण करेंगे। सत्र का संचालन करते हुए संस्कृतिकर्मी राजीव रंजन ने कहा कि प्रकृति और मनुष्य के संबंधों की यदि हमें सीख लेनी है तो हमें अपने संस्कृति अपने धर्मग्रन्थों से लेनी होगी जो हमें प्रकृति का सम्मान करने की सीख देती है। उन्होंने मनुस्मृति का उदाहरण देते हुए कहा कि उसमें कहा गया है पेड़ों को काटना पाप है और वृक्षारोपण एक पूण्य कर्म हैं। अर्थात जो वृक्षों, वनस्पतियों को हानि पहुंचाता है वह पाप का भागी होता है। इस अवसर पर शिवजोर यादव, श्यामनारायण राय, राजेन्द्र राय, वशिष्ठ राय, रामाश्रय सिंह, रामचन्द्र राय, माया प्रसाद राय, राहुल सांकृत्यायन स्कूल की प्रधानाचार्य डा. मीनू राय , रामशब्द यादव जलाल अहमद, इन्द्रपाल यादव, उज्जवल राय सहित सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

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