
बीकेटी, लखनऊ। लखनऊ के बख्शी का तालाब तहसील संपूर्ण समाधान दिवस में शनिवार को भारतीय किसान यूनियन (राजनैतिक) द्वारा लखनऊ सीतापुर नेशनल हाइवे पर वसूले जा रहे टोल टैक्स की उच्च स्तरीय जांच कराने के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
किसान यूनियन के प्रदेश उपाध्यक्ष राम प्रकाश सिंह ने जिलाधिकारी विशाख को शिकायती पत्र देते हुए बताया कि लखनऊ सीतापुर नेशनल हाइवे पर 2011 से एनएचएआई की गाइड लाइन के विपरीत टोल टैक्स वसूला जा रहा है। जिसके बावजूद क्षेत्रीय ग्रामीणों को दी जाने वाली सुविधाओं से भी वंचित रखा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हाइवे किनारे अधिकांश स्थानों पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है जिसके चलते इटौंजा ओवर ब्रिज के आस पास कई स्थानों पर भीषण जाम लगता है। जिस कारण एम्बुलेंस जाम में फँसने के कारण पिछले कई महीनों में कई मौतें हो चुकी है। एनएचएआई की गाइडलाइन के अनुसार पानी निकासी के लिए नाले का निर्माण नहीं कराया गया है। इटौंजा व खैराबाद टोल प्लाजा पर कोई भी सार्वजनिक वाटर कूलर/प्याऊ न लगने के चलते यात्रियों को मजबूरी में पानी खरीदकर पीना पड़ता है।वही दो टोल प्लाजा के बीच 60 किमी की दूरी होनी चाहिए। जबकि इटौंजा टोल प्लाजा से खैराबाद टोल प्लाजा की दूरी लगभग 49 किमी है जो नगरपालिका खैराबाद के अंतर्गत आता है जबकि एनएचएआई के नियमों के अनुसार नगर पालिका परिषद की सीमा के 10 किमी के अंदर टोल प्लाजा का संचालन नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि 2011 से अब तक अवैध रूप से चल रहे खैराबाद टोल प्लाजा पर गाड़ी मालिकों से जो भी टोल वसूला गया है टोल वापस कराने के साथ खैराबाद टोल प्लाजा को बंद करने की मांग की है। लखनऊ के इटौंजा में बने ओवरब्रिज की लम्बाई व ऊँचाई मानक से काफी कम है जिसके चलते ओवरब्रिज के अंडरपास से भारी वाहन नहीं निकल पाते हैं। जिसके कारण आए दिन लोगों को घंटों जाम से झूझना पड़ता है। टोल प्लाजाओं मे अभी तक सीएसआर फंड की व्यवस्था नहीं की गई है। हाइवे के बीच में अधिकांश स्थानों पर लगे पौधे सूख गए हैं।
हाइवे किनारे दोनों तरफ ओपन ड्रेन नहीं है। जिसके चलते आवारा पशु हाइवे पर ही घूमते रहते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। हाइवे किनारे आबादी वाली जगह पर साइड फेंसिंग होनी चाहिए जो कि कहीं पर भी नहीं कराई गई है।इटौंजा व खैराबाद टोल प्लाजा के स्थानीय निवासियों को किसी प्रकार की टोल वसूली में कोई सुविधा नहीं दी जाती है। जबकि 3 किमी के दायरे में निवास करने वालों को कन्सेसन पास उपलब्ध कराया जाता है। टोल प्लाजाओं पर हाई रिज्यूम कैमरा 360° एचडी लगाने के लिए एक वर्ष पूर्व प्रस्ताव पास किया गया था जो अभी तक नहीं लगाए गए हैं। हाइवे स्थित दोनों टोल प्लाजाओं पर टोल कलेक्शन प्वाइंट पर एनएचएआई गाइड लाइन के तहत 218 कर्मचारी होने चाहिए जबकि रोड लेबर मिलाकर कुल 168 कर्मचारी ही वर्तमान में है। कर्मचारियों की कमी के चलते टोल के लेन बंद कर दिए जाते हैं। जिससे जाम लगा रहता है।
वही ड्राइवर से ओवरलोड का पैसा दोनों टोल प्लाजाओं पर वसूला जाता है लेकिन ओवरलोड की रसीद वाहन के ड्राइवर व गाड़ी मालिक को नहीं दी जाती है। टोल प्लाजा पर दो पेट्रोलिंग व्हीकल होनी चाहिए जबकि टोल पर एक ही पेट्रोलिंग व्हीकल उपलब्ध है। वही 50 किमी के एरिया में एक एम्बुलेंस होनी चाहिए जिसके अनुसार इस एक्सप्रेसवे पर दो एम्बुलेंस होनी चाहिए जबकि इनके पास एक ही एम्बुलेंस है। टोल प्लाजा पर डीएससी कम्पनी द्वारा रखे गए कर्मचारियों को कम वेतन के साथ बीमा व अन्य सुविधाएँ भी नहीं दी जा रही हैं। वही कंपनी के पास उपलब्ध वाहन ट्रैक्टर, टैंकर, जेसीबी आदि हैं जिनके पेपर भी पूर्ण नहीं हैं।
इटौंजा टोल प्लाजा के पास डीएससी कम्पनी व एनएचएआई के स्थानीय अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से अवैध रूप से सब्जी मण्डी दशकों पूर्व से लगाई जा रही है। जिससे मण्डी में आने वाले व्यापारियों गाड़िया हाइवे पर ही खड़ी कर देते है जिससे प्रतिदिन भीषण जाम की स्थिति बनी रहती है। वही टोल प्लाजा से बिना फास्टैग के निकलने वाले वाहन जो कैश देकर निकलते हैं कर्मचारी उनका डाटा डिलीट कर डीएससी कम्पनी के कर्मचारी धन का आपस में बंदरबाँट कर लेते हैं।
वही, पूर्व में हुई ब्लैक लिस्टेड डीएससी कम्पनी के मालिक ने एलएसईएल का नाम देकर एनएचएआई से टोल वसूली का कॉन्ट्रैक्ट प्राप्त किया था जो सरासर गलत है।