बिहार में ‘क्राइम कैपिटल’ पर चुनाव! अपराध के आंकड़ों से नीतीश कुमार की सरकार दे रही ये संकेत

Bihar Politics : बिहार विधानसभा चुनाव-2025 अक्टूबर या नवंबर में होने हैं। इस बार बिहार चुनाव में कई सियासी मुद्दों पर जीत और हार निर्भर करेगी। हाल ही की चुनावी तस्वीर की बात करें तो बिहार में क्राइम कैपिटल के मुद्दे पर चुनाव होने के आसार बनते दिख रहे हैं। प्रदेश में अपराधों का आंकड़ा जारी हुआ है, जिनमें नीतीश कुमार की सरकार एक अलग ही संकेत दे रही है।

एक ओर जहां विपक्ष बिहार में अपराध और कानून-व्यवस्था पर बार-बार सवाल खड़े कर रहा है तो वहीं जेडीयू सरकार बिहार के क्राइम डाटा में भी अपना उल्लू सीधा कर विपक्ष पर वार करने को तैयार है। बता दें कि नीतीश कुमार के शासनकाल में अपराधों की संख्या पिछले पांच सालों में बढ़ी है लेकिन हत्या के मामलों में कमी आई है। वहीं कानूनी व्यवस्था की बात करें तो राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार आया है। हालांकि, जमीन, शराब और बालू माफिया जैसी चुनौतियां अभी भी बरकरार हैं।

बिहार के आपराधिक आंकड़ों की बात करें तो, पिछले पांच सालों में क्राइम के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हत्या के मामलों में कमी आई है। ये आंकड़ा बिहार पुलिस मुख्यालय से जारी हुआ है। इस आंकड़े के अनुसार, साल 2020 में 3,149 हत्याकांड के केस दर्ज किए गए थे, जो 2024 में घटकर 2,789 हो गए थे। वहीं साल 2025 में पहले 6 महीने में लगभग 1.90 लाख अपराध दर्ज हुए, जिनमें 1,379 हत्या के केस शामिल हैं।

लेकिन मीडिया में बिहार में अकेले जुलाई में 51 हत्याओं की खबरें सामने आई थीं, जिससे विपक्ष ने नीतीश कुमार की सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए थे। इनमें गांधी मैदान के पास उद्योगपति गोपाल खेमका और पारस अस्पताल में दिनदहाड़े हुई कुख्यात चंदन मिश्रा की हत्या से राज्य में आक्रोश फैल गया था। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में जमीन और पारिवारिक विवाद के कारण हत्याओं के केस ज्यादा सामने आए। साल 2021 में 3,336 जमीन विवाद के मामले दर्ज हुए।

बिहार में बढ़ रहें अपराधों के चलते विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरने का प्रयास किया। विपक्ष का आरोप है कि नीतीश सरकार अपराध पर नियंत्रण पाने में असफल रही है, जबकि सरकार का तर्क है कि अपराध के मामलों में तेजी से कार्रवाई की जा रही है और अपराधियों को कठोर सजा दिलाई जा रही है।

बिहार की जनता के सामने जेडीयू सरकार की छवि सुधारने के लिए नीतीश कुमार ने भी बड़ा दांव चल दिया। प्रशासनिक कार्रवाई और आंकड़े राजद सरकार के पक्ष में हैं। आंकड़ों के अनुसार, बिहार की नीतीश सरकार में जुलाई में बिहार पुलिस द्वारा 54 हजार से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें 3,905 हत्या के मामलों में कार्रवाई हुई। जून तक, 64 हजार से अधिक मामलों का निष्पादन किया गया है, और अभियुक्तों को सजा दिलाने में भी तेजी आई है। इनमें से तीन को फांसी और 601 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। जिसके तहत नीतीश सरकार का कहना है कि राज्य सरकार में कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। राजद सरकार में अधिक अपराध होते थे। पिछली सरकार में बिहार जंगल राज्य बना दिया था।

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