चुनाव आयोग की बड़ी तैयारी: पूरे देश में SIR प्रक्रिया शुरू, जानिए पहले चरण में किन राज्यों में होगा सत्यापन

New Delhi : भारत के चुनाव आयोग ने देशभर में मतदाता सूची को और अधिक पारदर्शी और सटीक बनाने के लिए स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सूत्रों के अनुसार, आयोग सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को इस प्रक्रिया की आधिकारिक तारीखों की घोषणा कर सकता है। पहले चरण में 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया शुरू होगी, जिसमें पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं, जहां जल्द ही विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।

पहले चरण में इन राज्यों पर फोकस
चुनाव आयोग ने पहले चरण में उन राज्यों को प्राथमिकता दी है, जहां निकट भविष्य में चुनाव होने की संभावना है। पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों के अलावा असम, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में भी SIR प्रक्रिया को लागू किया जाएगा। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची से डुप्लिकेट, फर्जी या गलत प्रविष्टियों को हटाना और यह सुनिश्चित करना है कि हर पात्र मतदाता का नाम सूची में दर्ज हो।

बिहार के अनुभव से लिया सबक
तीन दिन पहले, 23 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली में चुनाव आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में बिहार में हाल ही में लागू की गई SIR प्रक्रिया के अनुभवों पर विस्तृत चर्चा हुई। बिहार में यह प्रक्रिया 24 जून से 30 सितंबर 2025 तक चली, जिसमें करीब चार महीने का समय लगा। हालांकि, इस दौरान प्रक्रिया की जटिलता और समयावधि को लेकर विपक्ष ने तीखी आलोचना की थी। विपक्ष का आरोप था कि प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए।
इन आलोचनाओं को ध्यान में रखते हुए, चुनाव आयोग अब SIR प्रक्रिया को और तेज और प्रभावी बनाने की योजना बना रहा है। अधिकारियों का कहना है कि आयोग ने समयसीमा को कम करने के लिए कई सुधारवादी कदम उठाए हैं, ताकि मतदाताओं को कम से कम असुविधा हो और प्रक्रिया जल्द पूरी हो सके।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और आधार का उपयोग
बिहार में SIR प्रक्रिया के दौरान उठे विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे थे। विपक्ष ने मतदाता सत्यापन के लिए आधार कार्ड के उपयोग और प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने आयोग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को स्वीकार्य पहचान दस्तावेजों में से एक के रूप में मान्यता दी। कोर्ट ने मतदाता सूची में जालसाजी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आयोग की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी है। इस फैसले ने आयोग को देशभर में SIR लागू करने का आत्मविश्वास दिया है।

आयोग के निर्देश: पहले से शुरू हो मिलान
चुनाव आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि वे पिछली और मौजूदा मतदाता सूचियों का मिलान शुरू करें। इसका उद्देश्य सत्यापन प्रक्रिया को तेज करना और अनावश्यक देरी से बचना है। आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि मतदाता सूची में किसी भी पात्र व्यक्ति का नाम छूटने न पाए। इसके लिए बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) और अन्य स्थानीय अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

SIR क्या है और क्यों जरूरी?
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके तहत मतदाता सूची को अपडेट और शुद्ध किया जाता है। इसमें गलत, डुप्लिकेट या फर्जी प्रविष्टियों को हटाने के साथ-साथ नए मतदाताओं का पंजीकरण और मौजूदा मतदाताओं के विवरण को अपडेट किया जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हों। बिहार में इस प्रक्रिया के सफल कार्यान्वयन ने आयोग को इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
आगे की रणनीति

चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि SIR प्रक्रिया को न केवल तेज किया जाए, बल्कि इसे तकनीकी रूप से भी मजबूत बनाया जाए। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल्स और मोबाइल ऐप्स का उपयोग बढ़ाया जा रहा है, ताकि मतदाता अपने विवरण की जांच और अपडेट आसानी से कर सकें। साथ ही, आयोग ने स्थानीय स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है, ताकि अधिक से अधिक लोग इस प्रक्रिया में हिस्सा लें।

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