एकनाथ शिंदे ने दिखाई संवेदनशीलता : शहीद सैयद आदिल के परिवार को दी 5 लाख की सहायता

22 अप्रैल 2025 का दिन भारत के इतिहास में एक काले अध्याय की तरह दर्ज हो गया, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में जहां 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई, वहीं एक बहादुर कश्मीरी युवक सैयद आदिल हुसैन शाह ने अपनी जान की बाजी लगाकर मानवता की मिसाल पेश की।

एक बहादुर दिल की कहानी

सैयद आदिल पेशे से घोड़ा चालक था और पर्यटकों को बैसरन घाटी में घुड़सवारी कराता था। 22 अप्रैल को, जब चार आतंकियों ने अचानक गोलियां बरसानी शुरू कीं, तो सैयद के साथ एक पर्यटक भी सवारी पर था। बिना किसी हिचकिचाहट के सैयद ने अपनी जान की परवाह किए बिना एक आतंकी की बंदूक पकड़ ली और उसे छीनने की कोशिश की, ताकि उस पर्यटक की जान बचाई जा सके।

लेकिन अफसोस, आतंकी ने सैयद पर गोली चला दी और वह मौके पर ही शहीद हो गया। उसकी इस दिलेरी ने उसे एक असली हीरो बना दिया।

महाराष्ट्र सरकार की ओर से सम्मान

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सैयद की बहादुरी को सलाम करते हुए उसके परिवार को ₹5 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की है। शिवसेना कार्यकर्ताओं और सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों ने सैयद के घर जाकर यह सहायता राशि सौंपी।

शिंदे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परिवार से बात कर उन्हें ढांढस बंधाया और कहा,

“देश को सैयद जैसे सपूतों पर गर्व है। वह सिर्फ एक कश्मीरी नहीं, बल्कि पूरे भारत का बेटा है।”

आतंकी हमला जिसने देश को दहला दिया

यह हमला बैसरन घाटी के एक रिसॉर्ट में हुआ, जहां पर्यटक खच्चर की सवारी कर रहे थे। आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की, जिसमें कई महिलाएं और बच्चे भी मारे गए। यह पिछले दो दशकों में नागरिकों पर हुआ सबसे भीषण हमला माना जा रहा है।

इस घटना की कड़ी निंदा न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी की गई है।

सुरक्षा बल एक्शन में

हमले के तुरंत बाद सुरक्षा बल सक्रिय हो गए हैं। पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है और आतंकियों की तलाश जारी है। केंद्र और राज्य सरकारें इस हमले के पीछे की साजिश को बेनकाब करने के लिए गंभीर हैं।

सैयद की शहादत – एक प्रेरणा

सैयद आदिल हुसैन शाह की बहादुरी सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि मानवता और वीरता का प्रतीक है। वह हमें सिखाते हैं कि असली हीरो वो होते हैं जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा देते हैं।

“हम उन्हें नहीं भूले हैं, और कभी नहीं भूलेंगे। सैयद की कुर्बानी हमेशा याद रखी जाएगी।”

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